गुरुवार, 3 मार्च 2011

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में हैं भाई भाई

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में हैं भाई भाई
फिर क्यूँ होता है ये दंगा फसाद 
मासूमों के जीवन में क्यूँ आता है अवसाद 
क्यूँ रक्तरंजित हो जाती है तलवार 
क्यूँ ये करते हैं एकदूजे पे वार 
क्यूँ तोड़ी जाती हैं मंदिर की दीवारें 
क्यूँ गिराई जाती है मस्जिद की मीनारें 
क्यूँ चली थीं सन ८४ में नफरत की हवाएं 
क्यूँ खून से रंगी थी साडी फिजायें 
क्यूँ निर्दयता का था हुआ उत्थान 
क्यूँ आस्तित्व में आया खालिस्तान 
क्यूँ धरती का स्वर्ग, बना था नर्क
इंसानों और हैवानों के बीच का मिट गया था फर्क
क्यूँ जले थे लोग गोधरा की आग में 
क्यूँ गा रहे थे लैब कट्टरता के राग में 
क्यूँ लाहोर अमृतसर के बीच चली थी लाशो की रेल 
दूधमूहों के भी सर कलम कर दिए गए 
क्यूँ हुआ धड़ल्ले नृशंसता का खेल 
क्यूँ ये बने एक दूजे के कोप का भाजन 
फिर क्यूँ हुआ इस देश का विभाजन 
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में हैं भाई भाई 
फिर कहे का ये दंगा फसाद 

जिसके हाथ में है सृजन-संहार 
जिसने किया हममें प्राण का संचार 
जो हमें संकटों से बचाता है 
क्या भला उस पे भी संकट आता है 
फिर काहे का ये 'जेहाद' 
फिर काहे का वो धर्म युद्ध है जिसकी बुनियाद 

उपजी इस तबाही से हम अभी तक नहीं उबरे हैं 
बदन के जख्म भर गए पर दिल के अभी तक गहरे हैं 
आँखों से नहीं, आंसूं अब दिल से रिश्ते हैं 
सियासत की चक्की में हम हर पल जो पिसते हैं 
पर इक दिन ऐसा आएगा 
नफरत बदलेगी मोहब्बत में 
घृणा द्वेष सब मिट जायेगा 
तब मिल जूल कर हम रहेंगे और 
और फक्र से कहेंगे 
की हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में हैं भाई भाई 

ब्रजेश सिंह 
तारीख: १३ जनवरी २००८