गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013

हमें अच्छा लगता है रोज थोड़ा जी जी के मरना

छत से सीधा कूदकर
मरा जा सकता है
या फिर 10 ml ज़हर पीकर
ख़त्म की जा सकती है सौ ग्राम ज़िन्दगी
पर हमें
रोज थोड़ा थोड़ा मरना पसंद है
रोज थोड़ा थोड़ा दफ़न होना पसंद
हमें अच्छा  लगता है
रोज थोड़ा जी जी के मरना

अराहान 

मंगलवार, 1 अक्तूबर 2013

हीर रांझा

वो जो अभी ट्रेन छुटी है
वो तुम्हारे शहर को जाने वाली आखिरी ट्रेन थी
और किसी ने रोका भी नहीं वो ट्रेन
शायद ट्रेन में बैठी थी वो माएं,
जो अपने बेटियों को देती हैं
प्रेम ना करने की हिदायत,
स्टार प्लस के सीरियल्स देखते हुए।
सिखाती है अपनी बेटियों को सिलाई बुनाइ कढाई
आचार बनाने के तरीके
और बताती है सोलह सोमवार के व्रत के बारे में

उस ट्रेन में बैठे थे सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले वो बाप
जिनके फिक्स्ड डिपोजिट अकाउंट में जमा होता है दहेज़ देने के लिए पैसा
और जिनके लिए दामाद का मतलब होता है सिर्फ डॉक्टर इंजिनियर और ऑफिसर
शायद इसलिए रुकी नहीं वो ट्रेन

कल तक तुम्हारे और मेरे शहर के बीच की दुरी किलोमीटर में थी
आज पता नहीं कैसे ये तब्दील हो गयी प्रकाशवर्ष में
कल तक तुम्हारे और मेरे शहर के बीच सिर्फ एक नदी थी
जिसके किनारों पर बैठकर हम दोनों गाते थे नदिया के पार फिल्म के गाने
पर ना जाने क्यूँ आज वो नदी बदल गयी है
इस ब्रह्माण्ड से भी बड़े समंदर की तरह
अब मैं समंदर की किनारे बैठकर सुन भी नहीं सकता तुम्हारे मूह से गाया हुआ
सात समंदर पार मैं तेरे पीछे पीछे आ गयी वाला गाना

दिवाली में जलाये जाते है दीये खुशियाँ मनाने के लिए
पर कभी कभी ये दिया घर भी जला देता है
दिवाली में जलाया जाता है अनार बम
धमाके के लिए नहीं
उसके इर्द गिर्द घूमकर खुशियाँ मनाने के लिए
पर कभी कभी ये हाथ में ही फट जाता है
और जला देता है
प्यार भी तो किया जाता है
खुश रहने के लिए ही ना
तो फिर क्यूँ तबाह हो जाती है
ज़िंदगिया प्यार में
अगर तुम्हे मुझसे इतना दूर ही होना था
तो फिर क्यों लिखा मेरे हाथ पे रांझा
और अपने हाथ पे हीर

हो गए ना हम दोनों भी जुदा
रांझा और हीर की तरह
अराहान

सोमवार, 30 सितंबर 2013

हैंगओवर

तुम्हे इमली खाना अच्छा लगता है
मुझे अंगूर खाना अच्छा लगा है
तुम्हारे पास इमली नहीं है
मेरे पास अंगूर नहीं है
तुम्हारे पास सिरके का एक बोतल है
मेरे पास शराब की एक बोतल है
मैं अपने बोतल से शराब पि लेता हूँ
तुम अपने बोतल का सिरका मुझे पिला देती हो
और फिर देर रात तक बिखर बिखर के टूटता है मेरा हैंगओवर
तुम्हारे आंसुओं से भींगते हुए
तुम्हारी बाहों में

अराहान 

तुम्हारी आँखों का पानी खारा है

समंदर का पानी खारा है
तुम्हारी आँखों का पानी भी खारा है
समंदर आँख नहीं है
पर आँख समंदर है
मुझे तैरना आता है
इसलिए मैं डूबता नहीं हूँ समंदर  में
पर तुम्हारी आँखों
डूब के मर जाना
एक अलौकिक प्रक्रिया है
क्यूंकि तुम्हारी आँखें
नहीं मानती है
भौतिकी के किसी सिद्धांत और नियम को
इसलिए मुझे हर बार डूबना होता है
तुम्हारी बिल्लियों जैसी आँखों में

अराहान 

Urban Legends

मेरे गितारों पे खून है
 कानों में डेथ मेटल का शोर है
 मेरे टी शर्ट पे मिडिल फिंगर है
 और चार सितारे है
 मैं असभ्य हूँ
 जंगली हूँ
 पर मेरे टीशर्ट के पीछे एक दिल भी है
 जहाँ एक खालीपन है
 थोड़ा धुआं और थोडा tar है
मेरे कमरे की दीवारों पर एक Graffiti है
मेरे बर्बाद हो जाने का डिजिटल आर्ट
मुझे लास्ट लीफ की जरुरत है
तुम्हे आम भी बनाने नहीं आता
मेरे पास आईना नहीं है
मेरे पास मुखौटा नहीं है
बस तुम्हारा चेहरा है
 और एक kaleidoscope है
 और सारी दुनिया का चिडचिडापन है
 मुझे झूमने का शौक था
 पर भटकने का नहीं, खोने का नहीं
 तुम्हारे हाथों में ता उम्र रहा मेरे ज़िन्दगी का joystick
मैं खोता रहा भटकता रहा
 तुम che guevera के चेहरे वाले टीशर्ट देकर मुझे आजाद बनाती रही
 और मुझे पता भी ना चला की कहाँ खो गया वो joystick
 कब मैं गुलाम बन गया अपनी ही लाचारी का
" You are a retard"
 कह के तुम गुम हो गयी
और मैं तुम्हे ढूंढता रहा हीर राँझा की कहानियों में
 मुहब्बत के झूठे urban legends में

 अराहान 

रविवार, 29 सितंबर 2013

बड़े ही हर्ष का विषय है दुनिया के लिए इश्क में किसी का क़त्ल हो जाना

घडी के सुइयों से घायल हो कर 
वक़्त को धमकी भरे ख़त भेजना 
चेहरे पर हंसी की स्टीकर चिपकाकर 
रुमाल के पीछे आंसू बहाना 
जेबों में भरके बेबसी का बारूद 
भरी महफ़िल में फट जाना 
कलम में तेजाब भर के 
आग लिख जाना 
बड़े ही हर्ष का विषय है दुनिया के लिए 
इश्क में किसी का क़त्ल हो जाना 

अराहान

लम्बी जुदाई सिर्फ गाना नहीं है

लड़के के मुताबीक
लम्बी जुदाई दर्दभरा अहसास है
सिर्फ गाना नहीं है
लम्बी जुदाई एक बिना मुहर लगा पासपोर्ट है
दूसरी दुनिया के उस देश का
जहाँ कोई खाप पंचायत नहीं है
कोई तालिबान नहीं है
लड़के को यकीन है
की एक दिन वो ढूंढ लेगा लड़की को
अपनी जिन्दगींनुमा फिल्म के आखिरी सीन में
क्या हुआ जो वो एक स्लमडॉग मिलियानायर नहीं है
लड़का इक्कीसवीं सदी का है
उसके पास अंतरजाल है
जिसके इस्तेमाल से वो पहुँच सकता है
अपनी प्रेमिका के पास
इसलिए वो भटकता है
अंतरजाल नामक ब्रह्माण्ड में
फेसबुक ट्विटर ऑरकुट जीमेल इत्यादि ग्रहों पर
ढूंढ चूका है वो
पर नहीं मिला है उसे लड़की का पता
लड़की के पास स्मार्टफोन नहीं है
कोई गैजेट नहीं है
लड़की के पास फेसबुक नहीं है
बस एक प्यारा सा मासूम चेहरा है
जिसपे लड़के ने कही थी हजारो किताब लिखने की बात
लड़की के पास एक कबूतर है
जिसे वो कबूतर जा जा कहके
छोड़ देती है आसमान में
इस ख्याल से की वो पहुंचा देगा लड़के के पास उसका सन्देश
पर ये इक्कीसवीं सदी है
और इक्कीसवी सदी ने इंकार कर दिया है
कबूतरों को डाकिया मान ने से
लड़की रोंती है
और गाती है लम्बी जुदाई वाला गाना
जिसको गाकर किया जा सकता है
चार दिन का इंतजार
लड़की फ़िल्में नहीं देखती
इसलिए उसे पता नहीं है आखिरी सीन के बारे में
Happy Ending के बारे में
उसे पता नहीं है की
चार दिन के जुदाई के बाद
आता है मिलन का दिन

अराहान

शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

पंख

उड़ना
उड़ना सभी चाहते हैं
की एक दिन पंख लग जाएँ
और उड़ जाएँ हम पंक्षियों की तरह
आसमान में
पर कोई कभी हिम्मत नहीं करता
की उठाये एक तेज चाक़ू
और अपने काँधे के दोनों तरफ
चीरा लगाकर
खिंच ले दो पंख
और फिर उड़ जाएँ
जहाँ जहाँ उड़ना है

अराहान

गुरुवार, 26 सितंबर 2013

मेरा दुःख

मेरा दुःख
किताबों पे पड़े धुल की तरह नहीं है
जो तुम
आशावाद के Vaccum Cleaner  से साफ़ कर दोगी
और ले आओगी मेरे चेहरे पर
सुखवाद की चमक

मेरा दुःख
मेरे माथे के पसीने की तरह नहीं  है
जो तुम अपने Pandorra's Box सरीखे Vanity Bag से
सहानुभूति का एक Tissue Paper निकाल कर पोछ दोगी

मेरा दुःख
Black Hole की तरह अथाह और स्याह है
जिसके तह तक जाने के लिए
तुम्हे भूलना होगा खुद को
गुमनाम होना होगा मेरे दुःख में

मेरा दुःख
तेज़ाब की तरह है
ख़त्म करने के लिए
जिसे पीना होगा तुमका
और जलना होगा

मेरा दुःख
समंदर की तरह गहरा है
जिसे समझने के लिए
तुम्हे डूबना होगा
इसी समंदर में

अराहान

मंगलवार, 24 सितंबर 2013

देखना तुम लौटोगी

तुम वक़्त नामक फ्लाईओवर पर चढ़ के 
मुझसे बहुत दूर निकल गयी हो
पर मैं अब तक बैठा हूँ इसी फ्लाईओवर के नीचे
सपनो के सिगरेट फूँकते 
पुराने दिनो की डायरियां पढ़ते 
तुम्हारा इन्तजार करते हुए 
ये सोचते हुए की कभी तो लाल होगा 
तुम्हारे रफ़्तार का ट्रैफिक सिग्नल 
कभी तो रुकोगी तुम 
सोचोगी मेरे बारे 
इसी वक़्त नामक फ्लाईओवर से झांकते हुए 
गुमनाम लोगो से मेरा पता पूछते हुए 
मुझे ढूंढते हुए

मेरे दिल से रिसता है मेरी बीती हुई ज़िन्दगी का अलकतरा 
जिसको जमीन पर ढाल कर तुम बना चुकी हो
यादों की एक पुरानी सड़क 
इस उम्मीद में 
की तुम जीत जाओगी ज़िन्दगी नाम का मैराथन
इस सड़क से गुजरते हुए 
पुराने दिनों की उन रेसों को भुलाते हुए 
जिनमे मैं जानबूझ के हारा करता था
तुम्हे जिताने के लिए

अपने डिग्रियों के फाइल के बीच से 
निकाल दोगी मेरे सारे ख़त 
और उनमे लिखकर अपना Bio Data 
बन जाओगी किसी कंपनी में कोई ऑफिसर, मेनेजर 
कोशिश करोगी की भूल जाऊं सब कुछ 
अपने आने वाले कल के लैपटॉप पर 
अपनी नयी ज़िन्दगी का ग्राफ बनाते हुए 
पर तुम याद रखना 
की जब भी तुम बिताओगी अपना वक़्त 
अकेलेपन के किसी पार्क में 
तुम्हे नजर आएगा 
मेरे मोहब्बत का एक घना सा पेड़ 
जिसकी छाँव में आकर 
ताजा हो जाएँगी तुम में 
मेरी पुरानी   बाते 
मेरी यादें 
मेरा चेहरा 
मेरे साथ बीता हुआ तुम्हारा हर एक पल
और दखना 
तुम उस दिन दौड़ी चली आओगी 
मुझे ढूंढते हुए 
वक़्त के इसी फ्लाईओवर पर 
जिसके निचे बैठ कर 
मैं कर रहा होऊंगा 
तुम्हारा इन्तेजार 
सपनो के सिगरेट फूंकते हुए
और पुराने दिनों की डायरियां पढ़ते हुए 

अराहान 

शनिवार, 21 सितंबर 2013

इंसान, इंसान नहीं होता एक अदद लाश का बीज होता है

इंसान
इंसान नहीं होता
एक अदद लाश का बीज होता है
जिसे बोते है कुछ पारखी किस्म के लोग
समय कुछ ख़ास मौकों पर
जब उन्हें लगता है की अच्छी  होनी चाहिए इस बार लाश की फसल
तब वो अपने अपने खेतों में फोड़ते हैं बम
करवाते हैं आतंकी हमले दंगे
और सींचते हैं बीजों को खून से
जिनसे जन्म लेते हैं तरह तरह के लाश
कुछ हिन्दू
कुछ मुसलमान
कुछ कुछ इजरायली
कुछ फिलिस्तीनी
कुछ गोरे
कुछ काले
कुछ शिया
कुछ सुन्नी
और फिर इन्ही लाशों से सेंकी जाती है
लाल रोटियाँ
सियासत की
जिहाद की
धरम की
मजहब की
और फिर एक दिन इन लाशों को फिर से दफ़न कर दिया जाता है
क्यूंकि दे चूका होता है एक  फल
ये लाश का बीज

अराहान

शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

आशावाद निराशावाद और मुन्ना भाई एम.बी. बी.एस



विपत्ति जब आती है तब पूरे तामझाम के साथ और पूरे planning के साथ आती है. आज सुबह से ही आपका  दिन ठीक नहीं था. सुबह सुबह आपकी काम वाली ने आपको धमकी दी की अगर कल से आप अपने कमरे में रोज की तरह कचड़ा फैलायेंगे तो वो काम छोड़ देगी। आपके गाँव से फोन आता है की अगर आप इस साल भी पास नहीं हुए तो वापस गाँव लौट आयें, खेतों में काम करनेवालों की सख्त जरुरत है। आप अपने बाबूजी से बात कर के फोन रखे ही थे की आपकी प्रेमिका का मैसेज आता है "call me it's urgent ". आप झट से अपनी माशुका को फोन लगते हैं।  आज आपकी ये पूरानी माशूका भी आपके निठल्लेपन से परेशां हो कर आपसे प्ल्ल्ला  झाड  लेती है। "रमेश, मेरी शादी तय हो गयी है लड़का एक बड़े इंटरनेशनल कम्पनी में काम करता है, दिखने में भी अच्छा है, और……" आपके परेशानी का लेवल पेट्रोल के बढ़ते दाम की तरह बढ़ने लगता है और आप खीज में आकर अपनी एकलौती नोकिया 1100 को तोड़ डालते है भूतकाल में जिस से आपने ना जाने कितने ही रागिनियों, रेखाओं, प्रीतियों और श्रुतियों को पटाया था। आप हताश हो जाते हैं।  अम्बुजा सीमेंट से बना आपके सब्र का बाँध रेत के घरौंदे की तरह ढह जाता है।  आप चुप चाप हाथ पे हाथ धरे अपनी किस्मत को कोस ही रहे होते है की एफ. बी. आई के एजेंट की तरह जोर से दरवाजा खोलते हुए आपका प्रिय मित्र चला आता है।  ये आपका वही  प्रिय  मित्र होता है जिसे आप अपना मेंटर अपना गुरु समझते हैं और जिसके शरण में आकर अपने दारु, बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू इत्यादि आध्यात्मिक औषधियों का सेवन करना शुरू किया था।

"भाई, गजब, हो गया, रिजल्ट निकल गया है और इस बार भी हमलोग फेल हो गए है, लेकिन इस बार तुमको पिछले बार की तुलना में 10  नुम्बर ज्यादा आया है, और ख़ुशी की बात ये है की अब एक साल और हमलोगों को इस कॉलेज में रहना है, इसी ख़ुशी के मौके पर मैं ये दो बोतल बीयर लाया हूँ, चल पीते हैं"

आप अपने परम मित्र के इस आग्रह को टाल  नहीं पाते हैं और हद से ज्यादा व्यथित होते हुए भी सुरापान करने से बाज नहीं आते हैं।  आपके हिसाब से तीन जाम हलक के नीचे उतरने के बाद सब दुःख उतर जाता है।  आप दोनों दोस्त जम के पीते हैं।  और अपनी अपनी प्रेमिकाओं को गालियाँ देते हैं। आपके दोस्त जाने के बाद और पूरी तरह से बीयर चढ़ जाने के बाद, और सुबह से लेकर अभी तक की घटनाओं का विश्लेषण करने के बाद आप इस नतीजे पे पहुँचते हैं की आपका जीना बेकार है, ये दुनिया बहुत बेदर्द है और इस दुनिया में जीना उतना आसान नहीं जितना आमतौर पर टीवी और फिल्मों में दिखाई देता है। असल जिंदगी में कोई Fair & Handsome लगाने से हीरो नहीं बन सकता या फिर मूह में रजनी गन्ध रख के कोई दुनिया नहीं जीत सकता, या फिर Axe का  deodorant  लगा के कोई  लडकिया को पीछे नहीं भगा सकता।  दुनिया बहुत मुश्किल है, एक जंग है, एक रेस है और इस दुनिया में हम जैसे लोगो के लिए कोई जगह नहीं है।  आप निराशावाद के कुएं बहुत अन्दर तक गिर चुके होते हैं और आपके पास बाहर निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आता है।  आप मन ही मन क्विट करने की ठान  लेते हैं, और सुसाईड करने के कारगर तरीको के बारे में सोचने लगते हैं, एकबारगी आपके मन में ख्याल आता है  की आप अपने प्रिय हीरो सनी देओल के बाबूजी के स्टाइल में मोहल्ले के वाटर टैंकर पर चढ़ कर अपनी प्रेमिका को जमके  गाली दे और उसके बाद उसी से कूद जाएँ पर आपके ऊँचाई  से डरने की वजह से आप  इस तरीके को नकार देते हैं । आप अपने बटुवे को अपने जेब में रखते हुए घर से बाहर निकल जाते  हैं . आप रोज की तरह आज छिप के पीछे वाली गली से नहीं निकले, क्यूंकि आज आपके अन्दर नुक्कड़ के चाय वाले से उधार मांगे जाने का डर नहीं रहता  है , आज आप मुक्त  थे स्वंतत्र  थे, किसी का डर  नहीं था इसलिए आप सीधे रस्ते से घर से निकले। और रोज की तरह सबको कल उधार चूका देने का वादा कर के आप सीधे उस दूकान में पहुंचे जहाँ रस्सी मिलती है।  आप अपने साइज़ की एक रस्सी लेकर दुबारा घर की तरफ लौट  ही रहे होते हैं की आपको रास्ते में मोहल्ले का वो हरामी कुता मिल जाता है जिसके   हरामीपन के किस्से दूर दूर तक फैले होते हैं और जिसके काट लेने से 14 सुइयां भी काम  नहीं आती थी. आपके हाथ में रस्सी, शकल पे बेरुखी और मूह से 5000 Hayward बियर के गंध सूंघते हुये और आपके हुलिए को डीपली एनालाइज करते हुए कुत्ते ने आपको चोर समझा और जोर जोर से भौंकने लगा।  आप कुत्ते के भौंकने से दर के तेज क़दमों से चलने लगे और कुत्ते ने भी situation को समझते हुए अपने पैरो का acceleration  तेज किया।  अब आप आगे थे और कुत्ता पीछे।  आपकी रफ़्तार तेज और  र्कुत्ते की भी रफ़्तार तेज और जिस point पर आपकी रफ़्तार कुत्ते की रफ़्तार से कम हुयी आप कुत्ते द्वारा काटे गए।  और उस हरामी कुत्ते ने भी ऐसी जगह काटा जिसके बारे में आप धड़ल्ले कसी को बता नहीं सकते। काटने के बाद कुत्ते ने अपना mission accomplished  समझा और  चलता बना. आप अपने पिछवाड़े पे जख्म और दिल पे उस से भी ज्यादा गहरा जख्म लेके नजदीकी clinic  की तरफ चल दिए. आपके ख़याल से मरने का ख्याल कुछ देर तक निकल चूका था. आप के पिछवाड़े से बहते हुए खून को देखकर आपको अपने जिंदगी का अहसास हुआ की ये कितनी कीमती है।  आप दौड़ते हुए clinic जाते हैं और वहां injection लेते है।  clinic के डॉक्टर को देख के आपको मुन्नाभाई एम् बी बी एस का संजय दत्त नजर आता है और आईने में अपनी शकल देखकर आपको उसी फिल्म का जिमी शेरगिल नजर आता है।  और धीरे धीरे आपको समझ में आता है की ये जिंदगी कितनी हसीं है और चाहे कुछ भी हो जाये quit करना last option नहीं है. इंसान को हर परिस्थिति से लड़ना और जूझना चाहिए। आप मन ही मन उस कुत्ते को और डॉक्टर को धन्यवाद देते हैं और घर लौट आते हैं. रास्ते में फिर आपका वही दोस्त मिलता है।
"क्या भाई, क्या हाल बना लिया है, फेल हो जाने का इतना दुःख, भाक साले, तुमसे ई उम्मीद नहीं था, अच्छा तुमको पता है वो तीन नंबर रोड वाली तान्या है ना तुझसे प्यार करती है, हम अभी जस्ट पता लगा के आये हैं, और ये देख इसी ख़ुशी में बीयर भी लायें हैं, …………"

समाप्त

गुरुवार, 19 सितंबर 2013

बहरूपिया

तुम्हारी बातों में तेज छुरी सी धार है
Painting: Farley del Rosario
तुम्हारे होठों से खून बहता है
तुम्हारे अन्दर एक बागी है
पर तुम्हारे छाती पे नहीं लिखा है
Beware: Rebel Inside
तुम धोखेबाज हो
बहरूपिये हो
तुम्हारे प्रेमिकाओं ने तुम्हे छोड़ दिया
तुम पहेली थे
और उन्हें पसंद थे गुलाबी टेडी बियर
तुम तेज नाखूनों वाले काले भालू बने
टेडी बियर ना बन सके
तुम बीते सालों के कैलेण्डर से दिन चुराकर
अपने गुल्लक में छिपाते थे
तुम चोर हो
बहरूपिये हो
तुम घडी के सुईयां रोक  कर
समय को रोकना चाहते हो
समय को धोखा देना चाहते हो
तुम नादान हो
बेवकूफ हो
बहरूपिये हो
तुम्हारी ट्रेन छूटी  थी
और तुमने बना लिया दुश्मन
उन सभी लोगो को जो ट्रेन में बैठे थे
जिन्हीने नहीं खिंचा ट्रेन को रोकने वाला चेन
तुम खामोश हो
बहरूपिये हो
तुमने अपने मोबाइल को रख के साइलेंट मोड में
भूल जाते हो अपने ही घर में
और परेशां हो कर ढूंढ़ते हो
की कब बजेगा
तुम्हारे मोबाइल से जादू तेरी नजर वाला रिंगटोन
और ढूंढ लोगे अपना मोबाइल
तुम मकड़ी हो
तुम्हे अच्छा लगता है अपने ही बनाये जाल में उलझना
तुम बहरूपिये हो
तुम लिखते हो कवितायेँ
अपने ख्यालों की कतरने काटकर
कच्ची शराब को स्याही बनाकर
और मारे जाते हो अपनी ही कविताओं के नशे से
अपने ही ख्यालों के विस्फोट से
तुम नाकामयाब हो
हर कामयाबी में
तुम उलझन हो
पहेली हो
बहरूपिये हो


अराहान


बुधवार, 18 सितंबर 2013

नन बायोडिग्रेडेबल

तुम इसे जला दो
दफना दो
फाड़ दो
या फिर पीस दो सिलबट्टे या ग्राइंडर में
ये ख़तम नहीं होगा
कायम रहेगा इसका वजूद
सदियों तक
बनकर रहेगा ये हिस्सा किसी सभ्यता का
आने वाले हजारों साल के बाद भी
मिलेंगे खुदाई में इसके अवशेष

मेरा प्यार इसी पॉलिथीन की तरह है
नन बायोडिग्रेडेबल

अराहान 

मुझे नफरत है बारिश से नोस्टालजिक हो जाने से

वो कहती है की वो बारिश देख के नोस्टालजिक हो जाती है 

पर मुझे 
याद आता है 
मेरी जेब में पड़ा दस का एक तुड़ा मुड़ा सा नोट
जो की मेरे सपनो से भी ज्यादा तुड़ा मुड़ा और बेरंग था 
पार्ले जी का वो ऐड
जिसे देखकर मुझे लगता था 
की दस रुपये भी बहुत काम के होते हैं 
मेरी मोटरसाइकिल के पंक्चर टायर 
मेरी उम्मीदों के गुब्बारे की तरह पिचके हुए थे 
मेरे कपड़ो पे कीचड़ के छींटे 
जिनके दाग अब भी है दिल पे
मिटा न सका इनको किसी के भी प्यार का सर्फ एक्सेल 
मुझे याद आता है की दाग अच्छे  नहीं होते  
मुझे तुम भी याद आती हो 
मारुती सुजुकी में बैठी 
बंद शीशे से झांकती 
भीगी बारिश में सुखी सुखी से 
मुझे देखती हुयी 
की कैसे में भीग गया 
सुखी सुखी इस बारिश में 

वो कहती है की वो बारिश देख के नोस्टालजिक हो जाती है
क्यूंकि वो अब भी देखती है बारिश 
बंद शीशे की खिड़की से 
इसलिए उसे अच्छा लगता है नोस्तालजिक हो जाना 

 मुझे नफरत है बारिश से 
नोस्टालजिक हो जाने से 
क्यूंकि अब भी काबिज है मेरे दिल पे एक दाग 
ये अलग बात है की साफ़ हो चुके हैं कपडे

अराहान 

 
 

मंगलवार, 17 सितंबर 2013

कवि


मैं लिखता था तुम्हे प्रेम पत्र
पर दे नहीं पाता  था

मैं सोचता था
क्यूंकि मैं कवि हुआ करता था
और इसलिए ये लाजिमी था की मैं सोचूं

मैं सोचूं की बादल बादल नहीं होते
बादल रेत के वो घरौंदे होते हैं
जो पानी की एक लहर से फना हो जाते है
आसमा आसमा नहीं होता
एक बड़ा सा जादुई  आईना होता है
जिसमे दिखाई देती है हमारी आकांक्षाएं
परिंदों के रूप में
इंसान इंसान नहीं होता
खिलौना होता है
भगवान् नाम के एक बच्चे का खिलौना
जो दुनिया नाम का  एक घरौंदा बनाकर
छोड़ देता हैं इंसान को खेलने के लिए


















मैं सोचता था
क्यूंकि मैं कवि हुआ करता था
मैं लिखता था तुम्हे प्रेम पत्र
पर दे नहीं पाता  था
क्यूंकि मैं सोचता था
सिर्फ सोचता था
मैं सोचता था की
मैं तुम्हे लिखूं ढेर सारे प्रेम पत्र और भूल जाऊं
और मेरी माँ बेच दे सारे ख़त कबाड़ीवाले को रद्दी समझकर
और कबाड़ी वाला बेच दे ये ख़त उस दुकानदार को
जिसके दूकान से तुम लेती हो घर का राशन
और एक दिन वो दुकानदार तुम्हे दे दे कोइ सामान
उसी प्रेमपत्र में लपेट के
और तुम्हे पता चल जाए
की तुम्हारे घर के बगल में रहनेवाले लड़के की ख़ामोशी में
बहुत प्यार है बहुत तड़प है

मैं सोचता था
की मैं एक दिन कागज पर प्रेम लिखकर
फ़ेंक दूंगा तुम्हारे घर के अहाते में
जहाँ तुम उगाती हो गुलाब के फूल
और इन्तजार करूंगा उस दिन का
जब तुम्हारे उस अहाते में उगेगा एक पौधा
जिस के हर पत्ते पर एक प्रेम पत्र लिखा होगा

मैं सोचता बहुत था
क्यूंकि मैं कवि हुआ करता था
लेकिन मैं वही सोचता था
जो  मैं सोचना चाहता था
इसलिए मैंने कभी ये नहीं सोचा था की
उस दूकान से सामान खरीदने के बाद
घर आकर तुम फेंक देती होगी वो कागज़ कूड़ा समझकर
बिना पढ़े
और
तुम्हारे घर का दरवाजा खुला होने के कारण
एक दिन चर गयी होंगी बकरियां
मेरे सारे प्रेम पत्र

मैं सोचता था
क्यूंकि मैं कवि हुआ करता था
और मैं कवि हुआ करता था
इसलिए नाकाम हुआ करता था

अराहान



सोमवार, 16 सितंबर 2013

प्रेम का रेखागणित

Photo: Mark Eaton
मेरी सीधी साधी
रेखागणितीय जिंदगी पे 
तुमने डाल दिया अपने प्यार का लम्ब 
और बाँट दिया मेरी ज़िन्दगी को 
दो बराबर हिस्सों में 
एक हिस्सा तुम्हारे प्यार में डूबा रहा 
एक हिस्सा तुम्हारे इन्तेजार में डूबा रहा 
पर तुम 
तुम जोडती रही अपने जीवन में 
नयी नयी रेखाएं 
९० डिग्री के कोण से बनी 
त्रिकोण 
त्रिकोण से चतुर्भुज 
चतुर्भुज से पंचभुज 
तुम आगे बढती रही 
पाई के मान की तरह 
और मैं तुम्हे रोकने की कोशिश में 
सफ़ेद करता रहा अपने जीवन का ब्लैकबोर्ड 

अराहान 

शुक्रवार, 6 सितंबर 2013

रात

Painting : Vincent van Gogh 
रात , 
रात का मतलब, 
सिर्फ सोना नहीं होता।  
रात का मतलब होता है 
की जागते रहो 
अगर दिल में रखते हो किसी के लिए ख़ास जगह 
गिनते रहो तारे तब तक 
जब तक थक ना जाये तुम्हारे दिमाग का कैलकुलेटर 
अपलक देखते रहो स्याह आसमान की तरफ तबतक 
जब तक ढूंढ  ना लो एक नया गृह 
जिसकी सतह पर पानी ना हो 
पर हाँ प्यार जरुर हो 
रखो सिराहने तले  अपने सारे प्रेमपत्र 
और चौकस हो जाओ इनकी पहरेदारी में 
सुनो ध्यान से झींगुरों का शोर 
पूछो उनसे रात का मतलब 
महसूस करो अपनी आँखों से 
रात का स्याह उजाला 
रात देती है जवाब सारे सवालों का 
अगर तुम जागकर करते हो सवाल 
क्यूंकि ये रात भी रात नहीं है 
ये दिन है 
जो रास्ता भटक चुकी है 
दिन भर जागते हुए 

अराहान 

शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

रुकी हुयी एक शाम

तुम्हे पता है 
जब एक ढलती शाम 
मैंने पूछा था तुमसे 
की क्या होता है मतलब प्रेम का 
तुम्हारे चेहरे पर मासूमियत 
इठलाती हुयी बोली थी 
"प्यार का मतलब तुम,
और तुम का मतलब प्यार" 
तुम्हे पता है वो शाम अब तक नहीं ढली।  
वो शाम अब भी रुकी है वहीँ कहीं, 
नदी के किनारे, 
शहतूत के पेड़ों के पास, 
आसमान को धोखा देते हुए।   
बस हम तुम आगे बढ़ गए हैं 
अपने अपने वक़्त से बहुत  आगे 
अब बदल चूका है मतलब "तुम" का 
और प्यार का 


अराहान 

मंगलवार, 27 अगस्त 2013

लुक्का छिप्पी



रात के झीनी चादर तले , एकांत के पर्दों  के बीच, मैं जब तुम्हारे बारे में सोचता हूँ तो आस पास चमकने लगते हैं,  तुम्हारे साथ बीताये गए सुनहरे पलों के जुगनू। मैं हाथ बढ़ा कर उन्हें पकड़ने की कोशिश करता हूँ  पर हर बार की तरह मेरी मुट्ठी में जलता हुआ खालीपन ही हाथ आता है जिसकी तपिश  से मैं हर बार जल जाता हूँ. तुमसे बिछड़ने के वक़्त, जब मैं अपनी हथेलियों में तुम्हारे आँखों से झर रहे मोतियों को इक्कट्ठा कर रहा था, तब तुमने कहा था की मुझसे दूर हो जाने के बाद तुम चाँद से एक धागा लटकाओगी और मुझे खिंच लोगी। मैं रोज चाँद की तरफ एक छोटे बच्चे की तरह देखता हूँ की कोई धागा गिरेगा चाँद से।  पर अब तक चाँद से कोई धागा नहीं लटका पर हाँ चाँद से हर रोज खून टपकता है, तुम्हारे कसमों का खून, तुम्हारे किये गए वादों का खून।  तुम तो कहा करती थी की जब भी मैं तुम्हे याद करूँगा तुम सब कुछ भूल कर जहाँ भी होगी दौड़ी चली आओगी। मैं हर पल हर वक़्त तुम्हे याद करता हूँ पर तुम नहीं आती।  मुझे पता है की तुम दुनिया के किस ना किसी कोने से मुझे जरूर देखा करती होगी, मेरी खामोशियाँ सुना करती होगी। अगर ऐसा है तो तुम क्यूँ मेरे सामने नहीं आती, क्या तूम सचमुच की परी बन गयी  हो, अगर ऐसा तो फिर आ जाओ ना, परियों के पास तो जादुई छड़ी होती है. अबकी बार मैं वादा करता हूँ, कभी तुम्हारे साथ लुक्का छिप्पी का खेल नहीं खेलूँगा, और फिर कभी तुम्हे खुद से बिछड़ने नहीं दूंगा।

रविवार, 25 अगस्त 2013

क्या जरुरी है

क्या जरूरी है की 
इश्क करें 
और बेक़रार हो जाएँ 
चोरी करें 
और फरार हो जाएँ 
जुर्म करें 
और गिरफ्तार हो जाएँ 
भलाई करें 
और कुसूरवार हो जाएँ 
इन्तजार करें 
और चौकीदार हो जाएँ 
कहानी लिखें 
और कहानीकार हो जाएँ 
दिन काटे सोकर 
और बेकार हो जाएँ 
देते रहें मशवरे 
और सलाहकार हो जाएँ 
बिक जाएँ सियासत में 
और पत्रकार हो जाएँ 
बन जाएँ सनसनीखेज खबर 
और अखबार हो जाएँ 
क्या जरुरी है की
हम लड़ें अपने हक के लिए 
और गुनाहगार हो जाएँ 
इन से तो भला है की चुप रहें आँख मूंदकर 
और भारत की सरकार हो जाएँ 

अराहन 

दूरी

तुमसे कहीं बहुत दूर 
किसी गुमनाम बस्ती में 
बुन रहा हूँ पलकों से 
तुमसे मिलने के सपने 
भेज रहा हूँ आसमान में 
प्रेमपत्रों को बना के पतंग 
इस उम्मीद में की 
जब कटेगी पतंग 
तो गिरेगी तुम्हारे छत पर 
और तुम्हे दिख जायेगा मेरा चेहरा सन्देश में 
मालूम हो जायेगा की मैं तुम्हे याद करता हूँ परदेस में
यकीं हो जायेगा तुम्हे की दूर हो जाने के बाद भी
प्रेम की लौ निरंतर जलती रहती है ह्रदय में
तमाम तुफानो बवंडरो को धता बताते हुए

अराहान

प्रेम करो

फोटो: devianart.com 
प्रेम करो
पर रखो ताकत
दीवारों में चुनवा दिए जाने की
साँसों में भरो इतनी ताकत
की जिन्दा रख सको अपना प्रेम
दीवारों में क़ैद होकर भी

 प्रेम करो
और चौकस रहो
घात लगाये बैठे  शिकारियों से
करो ना कोई चुक
दो ना किसी को मौका शिकार करने का

प्रेम करो
पर रक्खो अपना सीना मजबूत
ना जाने कितने  कारतूसों पर लिखा होगा
तुम्हारा नाम
कितनी तलवारे प्यासी होंगी
 तुम्हारे रक्त की

प्रेम करो
पर थोड़ा डरो
क्यूंकि प्रेम करना गुनाह है
और सडकों पर घूम रहे हैं
इस गुनाह की सजा देने वाले

प्रेम करो
क्यूंकि तुम्हे हो गया है प्रेम
हो गयी है एक हसीं गलती
जो "UNDO" नहीं हो सकती
पर ध्यान रखो
की कोई क़त्ल ना कर दे तुम्हारे प्रेम को

अराहान 

शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

खामोशियाँ


प्रेम किसी भाषा किसी शब्द का मोहताज नहीं होता।खामोशियाँ भी कभी कभी इतना कुछ कह जाती है जो शायद जुबान से बोलकर भी  नहीं कही जा सकती। कुछ ऐसी हीं कहानी उनदोनो की भी थी।उन दोनों को भली भाँती पता था की उनके दिल में क्या है पर एक अनजाने से डर के कारण वे दोनों चुप रहते। ना लड़का कभी कुछ कहता ना लड़की कभी कुछ कहती। बस वे दोनों एक दुसरे को चोरी चोरी देखते और खुश रहते। लड़की को अपनी दुनिया रंगीन लगने लगी. अब वो दिनभर जी तोड़कर काम करने के बावजूद भी थका थका सा महसूस नहीं करती। अपने सौतेली माँ की लाख डांटे  जाने के बाद भी उस के चेहरे पर मुस्कराहट ही दौड़ती। लड़की एक अलग ही दुनिया में जीने लगी थी ।अब वो आईना देख कर मुस्कुराती और सुन्दर दिखने के सारे तरीके आजमाती। उधर लड़का भी खोया खोया सा रहने लगा। स्कूल में पिछली बेंच पर बैठकर वो ख्वाब देखा करता, डेस्क पर लड़की का नाम अपने नाम के साथ लिखता और एक दिल का चित्र बना देता और अपनी कलाकारी पर मन ही मन खुश होता, अपनी इस कलाकारी पर इनाम के बदले वो अध्यापक की छड़ी खाकर भी उफ़ तक नहीं करता मुस्कुराता रहता। अपलक आसमान की तरफ देखना , कवितायेँ लिखना और तस्वीरे बनाना उसकी आदतों में शुमार हो गया था । लड़का लड़की दोनों किसी और हीं दुनिया में  जी रहे थे। उन दोनों को किसी की खबर ना थी. वो दोनों प्रेम नामक एक हसीन बीमारी के गिरफ्त में थे और सदा इसकी गिरफ्त में रहना चाहते थे. इन दोनों का ये अदृश्य प्रेम कई दिनों तक यूँ ही चलता रहा. एक दिन लड़के ने हिम्मत कर के लड़की को एक प्रेमपत्र लिखा  जो उसने ऐसा किसी सिनेमा में नायक को नायिका के लिए लिखते देखा था,  और चुपके से लड़की के आने जाने वाले रास्ते के पास फेंक दिया। लड़की अपने सामने एक कागज़ के टुकड़े को देखकर पहले थोड़ा चौंकी लेकिन बाद में छिपते छिपाते उस पत्र को उठाया और पढ़ा और एक मुस्कराहट के साथ उस कागज़ के टुकड़े को अपने दुपट्टे में छिपाकर चली गयी। लड़का कोने में छिपकर लड़की की सारी हरकतों को देखकर और ये सोचकर मन ही मन बहुत खुश हो रहा था की लड़की ने उसके प्रेम को निवेदन स्वीकार कर लिया है। लड़के ने मन ही मन उस फिल्म के नायक को भी बहुत धन्यवाद दिया जिसकी वजह से उसे यह तरकीब मिली थी.
अगले दिन लड़के को भी एक ख़त मिला जिसमे उस लड़की ने भी ये बात स्वीकारी की वो भी उस लड़के से प्यार करती है।इस तरह उनके जिंदगी में एक नया मोड़ आया और दोनों के बीच खतों का सिलसिला शुरू हो गया ।

फोटो: google.com 

एक दिन लड़के ने लड़की से मिलने की बात कही।जवाब में लड़की ने कहा की मिलने से पहले वो कुछ कहना चाहती है। लड़के ने भी कुछ ऐसी ही बात कही की वो भी मिलने से पहले उस से कुछ कहना चाहता है जो वो अबतक नहीं कह सका।अंत में उन दोनों में ये तय हुआ की वो दोनों अपनी अपनी बात उसी दिन कहेंगे जिस दिन वो मिलेंगे। फिर वो दिन भी आया जिस दिन उन दोनों को मिलना था। जेठ की उस दोपहरी को जब आसपास के सभी लोग अपने अपने घरो में दुबके थे वे दोनों दहकते सूरज को धता बताकर छत पे मिलने  आये।लड़की और दिनों के मुकाबले ज्यादा खुबसूरत लग रही थी और लड़के ने भी उस दिन अपने सबसे अच्छे कपडे पहने थे, जिसमे वो किसी शहजादे की तरह लग रहा था। लड़की लड़के को देखकर शर्मा रही थी और जमीन की ओर देख रही थी और लड़का  भी लड़की से नजरे नहीं मिला पा रहा था। दोनों एकदूसरे के दिल की धडकनों को महसूस कर रहे थे, जिसकी रफ़्तार और दिनों के मुकाबले थोड़ी ज्यादा थी। कुछ देर तक यूँ ही रहे, बिना कुछ बोले। जब यूँ ही कुछ वक़्त गुजर गया तो लड़के ने आगे बढ़कर लड़की को अपने पास बुलाया  और उसकी आँखों में देखने लगा गोया की कुछ पढ़ रहा हो। लड़की भी लड़के की आँखों में  कुछ पढने की कोशिश कर रही थी। ना तो लड़के ने कुछ बोला ना ही लड़की ने।उन दोनों को मिले आधे घंटे बीत चुके थें  लेकिन अबतक उन दोनों के बीच खामोशियाँ नहीं टूटी। दोनों कुछ कहना चाह रहे थे लकिन कुछ बोल ना पाए। लड़की बड़े मासूमियत से लड़के की तरफ देखती की लड़का कुछ बोलेगा और लड़का भी बड़े बेचैनी से लड़की की तरफ देख रहा था की पहले लड़की बोलेगी। पर उन दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला। लड़का सोच रहा था की लड़की शर्मा रही है और लड़की भी कुछ ऐसा हे सोच रही थी।अंत में बहुत देर से बुत बने लड़के ने कुछ हरकत की, उसने एक कागज का टुकड़ा अपनी जेब से निकाला और लड़की के हाथ पर रख दिया और लड़की ने भी कागज़ का एक टुकडा अपने दुप्पट्टे की चुन्नी से निकाला और लड़के के शर्ट की जेब में रख दिया। लड़का लड़की दोनों ने एक नजर से एकदूसरे को देखा और दूसरी नजर से ख़त को और पीछे मुड़कर अपने अपने राह को जाने लगे। लड़का और लड़की दोनों ने दो कदम पीछे मुड़कर ख़त खोला और पढने लगे। और अगले ही पल ना जाने ऐसा क्या हो गया की लड़का लड़की दौड़कर एकदूसरे के करीब आये और एकदूजे से लिपट गए। दोनो के चेहरे पर मुस्कराहट थी और आँखों में थोड़ी नमी।

लड़के और लड़की दोनों ने ख़त में एक ही बात लिखी थी
"मैं बोल नहीं सकता"
"मैं बोल नहीं सकती" 


अराहान

बुधवार, 26 जून 2013

उलटी दिशा

एक अंधेरे कमरे में भी
लिखी जा सकती हैं जलती हुयी कवितायेँ
याद की जा सकती हैं पुरानी प्रेमिकाएं
नयी प्रेमिका के बाहों में सर रखकर
पीयी जा सकती है मा की लोरियां
आंसुओं और शराब के कॉकटेल में
याद किया जा सकता है बचपन
अधेड़ावस्था की ऊब में
तोड़े जा सकते हैं रिश्ते
जुबान के थोडा खुलने से
भुलाये जा सकते हैं साथी
साथ अकेलेपन के मिलने से
किये जा सकते हैं बहुतेरों ऐसे काम
उन परिस्थियों में भी
जिनमे हवा बहती है उलटी दिशा में

अराहान


शनिवार, 22 जून 2013

मरीचिका

नींद से जागी मेरी आँखें
कर रही है पीछा मेरे बेलगाम सपनो का
अमादा है मचाने को एक कोहराम
मेरी आँखें हो रही हैं हलकान दौड़ दौड़कर
इसी भागम भाग में मैं
पता नहीं कब चला आया
यथार्थ के धरातल से कोसों दूर
फंस गया मरीचिकाओं के कंटीलीदार झाड़ियों में
पता नहीं कब और कैसे
चुभ गया एक कांटा मेरी आँखों में
पता नहीं कब और कैसे
गुम  हो गए मेरे सपने

अराहान 

रोटी

उस समय आंदोलन नाम की हवा बह रही थी 
जब वो औरत चूल्हे की भडकती आग पर रोटियां सेंक रही थी 
रह रह कर पार्श्व में सुनती थी लोगो के मूह से 
किसी आचार के मिटाने के बारे में किये गए नारे 
पर उसका सारा ध्यान रोटी पर था और पोटली में रखे गए आचार पर 
जो वो अपने बच्चे को खिलाने वाली थी 
उसके चेहरे पर आया था दुनिया फतह करने जैसा भाव 
जब उसने अपने बच्चे को रोटी थमाई 
बच्चा रोटी लेकर खेलने लगा 
उस बच्चे की तरह के बच्चों को खिलौना नहीं मिलता
इसलिए वो खेलते हैं हाथ में आयी किसी भी चीज से
बच्चा रोटी को दूरबीन बना कर खलेने लगा
शायद वो अपनी माँ को दिखाना चाहता था की
वो उसकी एक रोटी से ही अपनी सारी जरूरतें पूरी कर सकता है
उसकी माँ उसे प्यार से डांटती है
"रोटी खेलने की चीज नहीं"
पर बच्चा गैलीलियो बन चूका था
वो उस रोटी की दूरबीन से वो सब कुछ देखना चाहता था
जो वो रोज चाहर भी नहीं देख पाता
पर बच्चे को उस दूरबीन से दिखाई देते हैं
बड़ी बड़ी गाड़ियों में उसकी तरफ आते कुछ लोग
शायद उसकी रोटी छिनने वाले लोग
बच्चा झट से रोटी खा लेता है
पसर जाती है एक ख़ामोशी थोड़ी देर के लिए
उसके माँ और उसके बीच
जिसे अगले ही पल तोड़ देती है
भीड़ से उठती एक नारे की आवाज
"गरीबो की रोटी मत छीनो"

अरहान 

क़यामत का दिन

जिस तरह जमीन देखती है आसमान की तरफ
और आसमान देखता है जमीन की तरफ
ठीक उसी तरह हम दोनों
एक दुसरे को देखते हैं
दिओन में मिलने का ख्याल पाले हुए
दुनिया भर की तमाम मजबूरियों का मलाल पाले हुये
हम दोनों जानते हैं की
क़यामत से पहले आसमान और जमीन एक नहीं होने वाले
इसलिए हम दोनों इन्तेजार कर रहे हैं
अपनी अपनी छत के मुंडेरों पर बैठकर
कब आएगा क़यामत का वो दिन
जब हम  मिलेंगे
जमीन और आसमान की तरह

अराहान 

One day

One day
We will dine together
in the courtyard of our heart
will feed each other
with our smile
will walk on the green grasses
holding each others hands
covering miles and miles

Arahaan 

दोषी

मैंने तुम्हे भुला दिया है
निकल फेंका है तुमको
अपनी ज़िन्दगी के हर कोने से
अप तुम्हारी खबर नहीं होती है सुर्ख़ियों पर
मेरी ज़िन्दगी के अख़बार में
पर ना जाने क्यूँ कब और कैसे
तुम्हारी यादें
डेरा जमालेती है मेरे सिराहने में
ना जाने कब दोस्ती का लेती हैं मेरे सपनों से
और ना जाने कब आँखों के सामने
उतर आता है तुम्हारा हसीं चेहरा
समझ नहीं आता है की मैं किसे दोषी ठहराऊं
अपने सपनो को
या तुम्हारी यादों को

अरहान 

तुम मत रोना

तुम मत रोना
मेरे मरने पर
मैं मरने के बाद
नहीं देख पाउँगा तुम्हे
पर हाँ जबतक मैं ज़िंदा हूँ
तब तक होती रहना परेशान
मेरी नामौजूदगी पर
मेरी गुमशुदगी पर
मैं तुम्हे खुदको ढूंढते हुए देखूंगा
तो मुझे अच्छा लगेगा

अराहान

सच

मैं झूठ नहीं बोलूँगा
की तुम मेरी पहली प्रेमिका हो
पहली बार मैंने किसी से प्यार किया
या फिर मैं ये भी नहीं बोलूँगा
की मैं तुम्हारे लिए चाँद तोड़ सकता हूँ
समंदर से मोती ला सकता हूँ
इन्द्रधनुस से रंग चुरा सकता हूँ
ना ही मैं तुम्हारे लिए कवितायेँ लिख सकता हूँ
ना ही तुम्हारी खूबसूरती पर कसीदे पढ़ सकता हूँ
बस मैं एक सच कह सकता हूँ
की मैं तुमसे प्यार करता हूँ
और तुम्हारे आंसुओं को तुम्हारे आँखों में आने से पहले
रोक सकता हूँ

अराहन 

पुरानी कविता

कल मैंने बेच दी अपनी एक पुरानी  कविता
जिसमे तुम थी
तुम्हारी हंसी थी
तुम्हारी पायल
तुम्हारे झुमके
तुम्हारे नखरे थे
तुम्हारी सीधी साधी
टेढ़ी मेढ़ी बातें थी
तुम्हारा रूठना था
तुम्हारा मनाना था
तुम्हारी कहानी थी
तुम्हारा अफसाना था
बेच दिया मैं कल ही इस कविता को
घर की और रद्दी चीजों के साथ
और इस तरह मैंने  सदा के लिए निकल फेंका तुम्हे
अपनी यादों से

अराहान 

जलपरी

वो आसमान में उड़ने वाली परी थी
उसे मुझसे प्यार हुआ
वो मेरी ज़िन्दगी में आ गयी
कुर्बान कर दिए उसने अपने पंख मेरे खातिर
छोड़ दिया उसने आसमान के बारे में सोचना
बस गयी मेरे संग जमीन पर
पर हर परियों की कहानी की तरह
वो हमेशा के लिए खुश ना रह पाई
एक दिन उसे जुदा होना पडा मुझसे
उसे भटकना पडा मेरी तलाश में
और भटकते भटकते वो एक समंदर में डूब गयी
पर वो मरी नहीं जलपरी बन गयी
सुना है वो अब भी रोती है मेरी याद में
इसलिए समंदर का पानी खरा होता है

अरहान

एश ट्रे

मेरे ख्वाब
मेरे सपने
मेरी दुनिया
उसकी यादें
उसकी बातें
अब सबकुछ यहीं रहा करती है
इस एश ट्रे में
सुलगती हुयी
सिगरेट के जले बुझे टुकड़ों के साथ

अराहान


थोड़ी सी जगह दे दो अपनी बाहों में

थोड़ी सी जगह दे दो अपनी बाहों में
लिपट कर तुमसे रोना है मुझे

पा लिया है सबकुछ तुम्हे पाकर
अब अपना सब कुछ तुम पर खोना है मुझे

टूट गए थे जो सपने तुमसे जुदा होकर
तुम्हारे आँखों से उन सपनों को अब संजोना है मुझे

रो लेने दो मुझे तुमसे लिपट कर
आंसुओं से अपने जख्मों को धोना है मुझे

रूठ जाने दो सावन को मुझे उस से क्या लेना देना
अब तुम्हारे मोहब्बत की बारिश में खुद को भिगोना है मुझे

काट ली है हमने वो बेचैन रातें हिज्र की
तुम्हारे नैनों के समंदर में खुद को डुबोना है मुझे

थोड़ी सी जगह दे दो अपनी बाहों में
लिपट कर तुमसे रोना है मुझे

अराहान 

ना फिर इधर उधर जवाब की तलाश में

ना फिर इधर उधर जवाब की तलाश में
कभी खुद से भी कुछ सवाल कर

जररी नहीं हर चीज को दिमाग से तौलना
कभी कभी अपने दिल का भी इस्तेमाल  कर

चीख चीख कर करता है चैन-ओ-सुकून की बाते
पहले अपने दिल में अमन बहाल कर

चल कर ले अपना सीना छलनी सच्चाई के तीरों से
और झूठ के महलों में रहनेवालों का जीना मुहाल कर

लोग तुझे जहन्नुम से भी खिंच लेंगे अराहान
पहले तू अपने नाम का जर्रा जर्रा बेमिशाल कर

अराहान 

अच्छा लगेगा

अपने अश्कों में तुमने छिपा रखा है अपना दर्द
कभी रो भी लो अच्छा लगेगा

तुम वक़्त के हाशिये पर लिखते हो अपनी कहानी
कभी वक़्त के साथ चलकर देखो अच्छा लगेगा

तुम पूछा करते हो उनसे अपने बारे में
कभी खुद से करो सवाल, अच्छा लगेगा

कितना खोया है तुमने पाने की कोशिश में
एक दफा बिछड़ों से गले लगाकर देखो, अच्छा लगेगा

ये किसके जाने का है मातम जो संजीदा हो
भुलाकर सबकुछ मुस्कुराकर देखो, अच्छा लगेगा

ज़माने में है और भी लोग किस्मत के मारे जो जीते हैं शान से
अंदाज उनलोगों का अपनाकर देखो अच्छा लगेगा

कुछ तुमको भी है दर्द, कुछ हमको भी है अराहान
आओ हमसे अपना दर्द बाँट कर देखो, अच्छा लगेगा

अराहान

कुचक्र

किसी बीते हुए काल में
मैं ढूंढ रहा हूँ अपना भविष्य
पिरामिडों में तलाश रहा हूँ
सुनहरे पलों की ममियां
पीले पत्तों से पूछ रहा हूँ
बहारों का बसेरा
मैं समय के एक कुचक्र में बैठा हूँ
और सामने गोल गोल घूम रहा है
सोने का पिंजड़ा

अराहान 

दस साल पहले

अगर मैं अभी अठारह का नहीं होता अट्ठाईस का होता
और तुमसे दस साल पहले प्यार करता तो
शायद हम दोनों के बीच प्यार कुछ ज्यादा ही गाढ़ा होता
तब तुम मुझे हर दस मिनट पर फ़ोन नहीं करती
और ये नहीं पूछती की मैंने तुम्हारे मैसेज का रिप्लाई क्यों नहीं किया
या फिर कभी ये नहीं पूछती की कल रात मैं दो बजे किस से बात कर रहा था
दिन में सौ बार नहीं बजता मेरा फ़ोन,
तुम्हारी आवाज को मुझतक पहुँचाने के लिए
शक का मैला पानी नहीं लगा पाता  दाग हमारे मोहब्बत के दामन में
तब तुम मुझे महीने में एक बार ख़त लिखती,
आयर ये बताती की मेरे बिना तुम्हारा मन नहीं लग रहा
मिलने का वक़्त मांगती मुझसे
किस शायरी की किताब से उठाकर दो चार शायरियां लिखती
और सत्तर के दशक के किसी नायिका की तरह बिता देती सारा वक़्त
ख़त के जवाब के इंतजार में
तुम्हारे जेहन मी आती ही नहीं तब कोई बेफजूल बात
जिनसे आये दिन तुम छलनी कर देती हो मेरा सीना
आज नजदीकियां हम दोनों को दूर कर रही हैं
पर आज से दस साल पहले दूरिय हमको नजदीक रखतीं

अराहान
  

इंतजार

एक बोलती आँखों और  लम्बे बालों वाली लड़की से
इश्क किया करता था
खामोश सा रहनेवाला
सहमा सहमा सा एक लड़का
लड़का, लड़की की बोलती आँखों को सुनता था
लड़की, लड़के की ख़ामोशी को पढ़ती थी
दोनों एकदुसरे को समझते थे
पर कुछ कहते नहीं थे
लड़का बस इन्तेजार में था की
एक दिन जब अँधेरा दूर होगा
एक नयी सुबह आएगी
तब वो कह देगा लड़की को अपने दिल की बात
पर उस बोलती आँखों और लम्बे बालों वाली लड़की की जुल्फें,
पल पल बढ़ रही थी
पल पल स्याह होता जा रहा था आसमान
और एक दिन सुबह के इन्तेजार में
लड़का डूब गया घुप अँधेरे में

अराहान 

तू मेरा रंग देख, मेरा मिजाज देख

तू मेरा रंग देख, मेरा मिजाज देख
मैं तुझसे इश्क करता हूँ
तू मेरा अंदाज देख
क़दमों में बिछा दिए हैं तेरे,
सारे जहाँ की खुशियाँ
शक है तो तू अपना कल देखा अपना आज देख
मैं खामोश हूँ
इसका ये मतलब नहीं की मैं बोलता नहीं
तेरे होठों पर बिखरे हैं मेरे अल्फाज देख
मत सोच की क्या होगा अंजाम मेरी मोहब्बत का
तू बस मेरे इश्क का आगाज  देख

अराहन

कबाडखाना

बहुत कुछ जमा है
मेरे दिल के कबाड़खाने में
शीशें की डिब्बियां में बंद है
मेरे सपनों के टूटे हुए कुछ  पंख
दीवार पर टंगी  हुयी हैं
हसीं यादों की केंचुलिया
रंगीन पन्नों पर कहीं बिखरी हुयी है तुम्हारी मोम  सी बातें
खिडकियों में लटका हुआ है तुम्हारी यादों का मकडजाल
पुराने पलों की मकड़ियाँ अब भी पनाह लेती हैं इनमे
जमीन पर बिखरी पडी है तुम्हारे हाथों की टूटी चूड़ियाँ
उनको अब भी आता है हुनर चुभने का
अब भी जिन्दा ज़िंदा सा है तुम्हारा नाम
उस पुराणी डायरी में
अब भी ताजे ताजे से है तुम्हारे होठों के निशाँ
उन पुराने प्यालों में
जिनमे अक्सर हम दोनों चाय पिया करते थे
अपने आने वाले कल के बारे में बात करते हुए
किसी कोने में अब भी रो रहा है
हम दोनों का "आनेवाला कल"
जिसके रोने की आवाज दबी रह जाती है
मेरे आज के क्रूर ठहाकों के बीच
मेरे दिल में कभी तैर करती थी मीठे झील की मछलियाँ
पर अब खारे पानी का शार्क रस्क किया करता है इसमें

अराहान



 

तेरी यादें



पीले पत्तों जैसी किसी उदास शाम को 
धुंध बन कर छा  जाती हैं आसमान में  तुम्हारी यादें 
साँसों में घुसपैठ करने लगता है 
तुम्हारी यादों का कड़वा धुंआ 
मैं पत्थर फेंककर आसमान में 
तितर-बितर करने की कोशिश करता हूँ 
बादलों में बने तुम्हारे अश्क को 
पर आसमान से दुबारा गिरता हुआ पत्थर 
मुझको ही चोट दे जाता है 
शायद उसको भी पसंद नहीं की 
मैं तुम्हे भूल जाऊं 

अरहान 

स्मृतिअवशेष


समय के गर्भ में
गहराई तक धंसे हुए हैं
कुछ सुनहरे स्मृतियों के जर्जर अवशेष
जितना अन्दर जाता है वर्तमान का फावड़ा
यादों का  एक हसीं टुकड़ा निकल आता है
जिसे मैं आंसुओं से धोकर
पोंछ देता हूँ मुस्कराहट के रुमाल से
और जेब में रख लेता हूँ वो टुकडा
आगे कई वर्षों तक रोने के लिए
मुस्कुराने के लिए

अराहान 

तुम

मेरे शब्दों के मतलब में तुम हो
मेरे होने और ना होने के मतलब में तुम हो
तुम हो मेरे हर हाँ में
तुम हो मेरे हर ना में
तुम हो मेरे आज में
तुम हो मेरे कल में
तुम हो तो मैं हूँ यहाँ वहां या कहीं और
तुम हो तो मेरा है ठिकाना मेरा है ठौर
तुम हो तो गुनगुनाता हूँ
तुम्हारी बाते खुद को सुनाता हूँ
तुम हो तो मैं जिन्दा हूँ  मैं मरने के भी ख्यालों में
तुम हो तो शरबत शरबत है जिंदगी के प्यालों में
तुम हो तो ताजा ताजा से है ख्वाहिशें मेरी
तुम हो तो पुरी पुरी से है फरमाईशें  मेरी
तुम हो तो बहार है खिजा के मौसम में
तुम हो तो ठंडी ठंडी फुहार है दहकते आलम में
तुम हो तो बेचैनी को मिलती है राहत मेरी
तुम हो तो मचलती है चाहत मेरी
मैं क्या बताऊँ की मैं क्या महसूस करता हूँ तुम्हारे होने से
मैं क्या बताऊँ की मैं कितना डरता हूँ तुमको खोने से

अराहान  

धुप

धुप, धुप है
तितली नहीं
जो तुम उसे पकड़कर कैद कर लोगे अपने मुट्ठी
या फिर तोड़कर उनके पंखों को याद करोगे अपने बचपन को

धुप, धुप है
तुम्हारी प्रेमिका का पल्लू नहीं
जिसको ओढ़कर तुम डूबोगे रूमानी ख्यालों में
या फिर अपनी प्रेमिका को सुनाओगे कोई प्रेमकविता

धुप सिर्फ धुप है
ये सिर्फ जलना जानती है
चाहे धुप जाड़े की हो
या गर्मी की


हारे हुए शब्द

कवितायेँ लिखी जा सकती हैं
रात के अँधेरे में
दिन के उजाले में
शाम के धुंधलके में
कविता में शरण लेते हैं कुछ हारे हुए शब्द
उन्हें फर्क नहीं पड़ता
अँधेरे से
या
उजाले से

अरहान

दिवास्वप्न



आओ चले हम
नींद के गलीचे पर बैठकर
कहीं दूर ख्वाबों की दुनियां में
तोड़ ले पेड़ों से इन्द्रधनुष
रंग लेअपना जीवन
चुरा लें आसमान से एक टिमटिमाता सितारा
और रख लें अपने घरौंदे में, रौशन कर लेंअपना संसार
पीकर चुल्लू भर पानी प्रेम सरोवर से
मिटा लें जीवन भर की प्यास
रख दे एकदूजे के होठों पर वो सारी  बातें
जिन्हें हम हकीकत में नहीं कह पाते

अरहान 

तू समझ या ना समझ

तू समझ या ना समझ
अब सबकुछ मैं तेरी समझदारी पर छोड़ता हूँ
दुश्मनों की तादाद बढ़ रही है मेरी दुनियां में
अब सबकुछ मैं अपना तेरी यारी पर छोड़ता हूँ
चोट खाया है हमने मजबूत बनने की हर कोशिश पर
अब सबकुछ मैं अपना, अपनी लाचारी पर छोड़ता हूँ
मर्ज बढ़ता ही जा रहा है, तीमारदारों की तीमारदारी से
अब सबकुछ मैं अपना, अपनी बीमारी पर छोड़ता हूँ
लोग कहते हैं मैं बेकार होने लगा दिन-ब-दिन
अब सबकुछ मैं अपना, अपनी बेकारी पर छोड़ता हूँ
याद रखना तुम की, तुमको ही मुझे फिर से बनाना है
अब सबकुछ मैं अपना तेरी जिम्मेदारी पर छोड़ता हूँ
आंसूं छिपाने हैं मुझे बारिश में भींगकर
अब सबकुछ मैं अपना मौसम की खुशगवारी पर छोड़ता हूँ
मैं अपना सबकुछ सौंपकर तुम्हे जा रहा हूँ
देख मैं अपना अक्स तेरी चाहरदीवारी पर छोड़ता हूँ

अराहान  

यादें

जिन्दा हैं जेहन में अबतक वो  यादें
अबतक वो कहानियां
पहलु में जिनके बीता अपना बचपन, अपनी जवानियाँ
वो झांकती आँखों वाली खुली खिड़कियाँ
चाट पर टहलती मोहल्ले की लड़कियां
वो भेजना हमारा ख़त उनको
और मिटा देना सारी  निशानियाँ
जिन्दा है जेहन में अबतक वो यादें,
अब तक वो कहानियां
वो दांतों तले  ऊँगली दबाकर उसका मुस्कुराना
कागज़ के टुकड़े फेंककर प्यार जताना
वो उसके बाहीं में बीते पालो का जमाना
जैसे काँटों और फूलों का मिल जाना
याद आता है वो मंजर
याद आती हैं वो दिवानियाँ
जिन्दान है अब तक जेहन में वो यादें
अबतक वो कहानियां

अरहान


डर

डर 

बचपन से सिखाया गया था उसे 
किसी से नहीं डरना है 
किसी से भी नहीं डरना है 
किस हालत में नहीं डरना है 
किसी हथियार से नहीं डरना है 
वो निर्भीक बना 
किसी से ना डरा 
आगे बढ़ता रहा 
फिर एक दिन उसे प्रेम हुआ 
और उस दिन के बाद से वो डरने लगा 
दुनिया की तमाम बड़ी छोटी चीजों से 
दुनिया के तमाम उन लोगो से 
जिन्होंने कभी प्यार नहीं किया 

अराहान 

एक शाम




एक शाम 
जब दिन ले रही थी उबासी 
और रात कर रही थी जागने की तैयारी 
परिंदे लौट रहे थे घर को 
चुने हुए दानों के साथ 
पनिहारिनों की टोली लौट रही थी हाथों में मटके लिए 
पूर्व हवा के झोकों के बीच सूरज ले रहा था झपकी 
वो शाम लौट आने की शाम थी 
सब कोई लौट रहे थे वापस अपने घर को 
पर मुझे जाना था
तुमसे दूर 
तुम्हे अकेला छोड़कर, अपनी कविताओं के हवाले 
अपनी कसमों के बीच, हिफाजत से छोड़कर 
लौट आने के दिनों का वास्ता देकर 
मुझे जाना था 
एक ऐसे ही किसी शाम को 
तुमसे दूर 
दाने की तलाश में 

अरहान 

शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

क्षणिकाएं - 1

एक 

उस के   निकलती शराब की बू को
सूंघ लेते हैं लोग बड़ी दूर से
खोजी कुत्तो की तरह
पर उसके जलते दिल की तीखी गंध को
कोई महसूस नहीं कर पाता

दो 

ऊपर आग है
नीचे समंदर
बीच में है हम दोनों
थोड़े जलते हुए
थोड़े डूबते हुए

तीन 

हम दोनों ने उस समय प्यार किया
जब आस पास रोज बन रहे थे नए नए तालिबान
रोज एक कारतूस खरीदी जाती
हमारे सीने में उतारने के लिए
रोज एक नया फतवा जारी होता हमारे नाम
रोज एक शरियत नाजायज बताती हमरे इश्क को
पर हर रोज हम सांस लेते
मस्जिद में गूंजने वाले अजान की तरह

चार 

तुम्हारे इश्क में पड़ने का मामला
दुनिया ने इतना संगीन बनाया
की कभी  तुम्हे इजराइल
तो कभी मुझे फिलिस्तीन बनाया

पांच

समय के गर्भ में
गहराई तक धंसे हुए हैं
सुनहरे स्मृतियों के जर्जर अवशेष
जितना अन्दर जाता है वर्तमान का फावड़ा
यादों का एक हसीन टुकड़ा निकल आता है
जिसे मैं आंसुओं से धोकर
पोंछ देता हूँ  मुस्कराहट के  से रुमाल से
और रख लेता हूँ अपने जेब में वो टुकडा
आने वाले कई वर्षों तक रोने के लिए, मुस्कुराने के लिए