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मंगलवार, 22 अप्रैल 2014

तुमसे प्यार करना और वफ़ा की उम्मीद रखना

तुमसे प्यार करना 
और वफ़ा की उम्मीद रखना 
ठीक वैसा ही है जैसे 
पानी की सतह पर लिख देना एक कविता 
और उम्मीद करना 
की मछलियाँ इस गाकर सुनाएंगी 

तुमसे प्यार करना 
और वफ़ा की उम्मीद रखना 
ठीक वैसा ही है जैसे 
आस्तीन में पालना एक सांप
और उम्मीद करना की वो डसेगा नहीं

तुमसे प्यार करना
और वफ़ा की उम्मीद रखना
ठीक वैसा ही है जैसे
एक बोतल में बंद कर एक प्रेम पत्र
फेंक देना समंदर में
और उम्मीद करना की वो मुझे मिल जायेंगे

तुमसे प्यार करना
और वफ़ा की उम्मीद रखना
ठीक वैसा ही है जैसे
रेत पर लिख देना ज़िन्दगी
और उम्मीद करना की जिंदगी मिटेगी नहीं

तुमसे प्यार करना
और वफ़ा की उम्मीद रखना
ठीक वैसा है जैसे
पी लेना गिलास भर जहर
और उम्मीद करना की प्यास बुझ जाएगी

तुमसे प्यार करना
और वफ़ा की उम्मीद रखना
ठीक वैसा ही है जैसे
कागज़ की नाव पर समंदर में उतरना
और उम्मीद करना की किनारा मिल जायेगा 

सोमवार, 21 अप्रैल 2014

उम्मीद

बहुत दूर, 
गहराई में उतर के देखो 
एक ख्वाबगाह है 
जहां उम्मीदों के Ghetto में 
ज़िंदा है मेरी मोहब्बत 
Below Poverty Line के नीचे 
अपनी खुरदुरी उँगलियों से 
Forbes मैगजीन के पन्ने पलटते 
तुम्हारे जिंदगी की कंपनी में 
सबसे बड़ा शेयरहोल्डर बन ने के सपने देखते हुए 

अराहान

मंगलवार, 18 मार्च 2014

तेरी यादें

आज भी झीने से उतर के 
चली आती है कमरे में तेरी यादें 
बिन बुलाये जुगनुओं की तरह 
अँधेरे में चमकती हुयी 
उतार देती है दीवारों पे 
गुजरे जमाने की कुछ धुंधली तस्वीरें 
कुछ बासी पलों की 
उखड़ी उखड़ी से लकीरे 
जिनमे से झांकती है एक गोरी सी लड़की 
अपनी नम आँखों से मुझे देखती है 
और हर बार पूछती है
रेलवे की पटरियां
अक्सर लोगो जुदा क्यूँ करती है
शहर से दूर जाने वाली ट्रेनें भी तो वापस लौटती हैं
फिर तुम क्यूँ नहीं लौटे अबतक
मैं कुछ बोल नहीं पाता हूँ
बस जेब से उसी लड़की की एक साफ़ तस्वीर निकाल के
देखता हूँ और
रोज की तरह घर से दूर निकल जाता हूँ
कुछ टूटी हुयी रेल की पटरियों को जोड़ने के लिए

अरहान

विंडो सीट

मुझे पता है
ट्रेन की खिड़की से तुम दिखाई नही दोगी
पर हर बार मैं ट्रेन में चुनता हूँ 
एक विंडो सीट 
ताकि मैं देख सकूं बाहर 
पीछे छूटते पेड़ों को 
इमारतों को 
जंगलों को 
हर उस चीज को जो मुझसे छूटती जा रही है
ट्रेन के चलने से 
मुझे महसूस होता है तुम्हारा अक्स
उन हर चीजों में जो मुझसे छुट्ती है
बिछड़ती है
ये महसूस कराती है की मैं तुमसे दूर हूँ बहुत दूर
और मुझे रोक देनी चहिये
दुनिया की सारी ट्रेने
अपने लाल खून से

अराहान

मधुशाला

एक ढलती शाम को 
नहीं उतार सकता मैं कॉफी के मग में 
या फिर सीने का दर्द मैं 
कम नहीं कर सकता चाय के प्याले से 
ये मेरी मज़बूरी है 
या मेरी खुद कि रजामन्दी 
कि हर उदास शाम को 
मधुशाला बुला लेती है 
और मैं ठुकरा नहीं सकता उसका न्योता

"Take My Pen"

क्लास के उस पिछली बेंच पर
तुम्हारा नाम लिख कर
तोडा करता था मैं अपनी कलम
और उमीदों के काफिलो से गुजारिश करता
की पास आके तुम कहोगी
"Take My Pen"
पर उम्मीदे भी मेरी कलम की तरह रोज टूटती रही
और मैं कभी कुछ ना लिख पाया
तुम्हारे नाम के सिवा

अराहान

खाई

बस मेरे एक अलविदा कहने से
अगर हमारे बीच में खुद गयी है
एक गहरी खाई
तो लो आज मैं तुम्हे पुकारकर
बना देना चाहता हूँ
एक पुल
इस खाई के ऊपर
तुम्हारी दुलारती बातों के गारे से
तुम्हारे कसमों के पत्थर से
एक मजबूत पुल
जिसे तोड़ नहीं सकता किसी
भी दुनिया का बनाया हुआ
कोई भी अणु बम
एक मजबूत सा पूल
तुम्हारे हाथों में मेरे हाथ के जैसा

अरहान

प्रेम पत्र

मेरे ह्रदय पे पड़ गयी है
तुम्हारे कोमल स्पर्श की सिलवटें
सूरज की तपिश भी
इस्त्री नहीं कर सकती इसे
मेरे हृदय पर तुमने अंकित कर दिया है
प्रेम से भी पुरानी किसी भाषा में
प्रेम से भरा एक प्रेम पत्र

अराहान

शुक्रवार, 14 मार्च 2014

एक रात

वो रात शहद थी 
जब तुम ख़ुशी ख़ुशी गिरफ्तार  थी 
मेरे बाहों के आगोश में 
लात मार कर तुमने बंद कर दिया था, रिहाई का दरवाजा 
जब पूरी दुनिया बन गयी थी वकील 
हाथ में जमानत का कागज़ लेकर 
उस रात बड़ी तेज हवा बही 
लेकिन बुझा न सकी 
तुम्हारे प्रेम कि निरंतर जलती लौ को 
तुम्हारा हाथ थाम कर 
शिखर पर चढ़ गयी, मेरी मुहब्बत कि लंगड़ी उम्मीदें 
तुमने चाँद पर लिखकर एक प्रेमपत्र 
बता दिया दुनिया को कि तुम अपने हाथ में 
बाँध चुकी हो प्रेम नामक हथकड़ी 
और हो गयी हो आजाद, खुद से, दुनिया से 
उस रात दरवाजा पिटती रही तालिबानी दुनिया 
करती रही सभ्यता संस्कृति का विधवा विलाप 
उस रात झींगुरो के रुदन के बीच 
जुगनुओं ने बताया चाँद को 
कि आसमान में लौट रहे हैं 
जमीन से जख्मी होकर दो परिंदे 
आजाद हवाओ में आजादी कि सांस लेने 

अरहान 

गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013

हमें अच्छा लगता है रोज थोड़ा जी जी के मरना

छत से सीधा कूदकर
मरा जा सकता है
या फिर 10 ml ज़हर पीकर
ख़त्म की जा सकती है सौ ग्राम ज़िन्दगी
पर हमें
रोज थोड़ा थोड़ा मरना पसंद है
रोज थोड़ा थोड़ा दफ़न होना पसंद
हमें अच्छा  लगता है
रोज थोड़ा जी जी के मरना

अराहान 

मंगलवार, 1 अक्तूबर 2013

हीर रांझा

वो जो अभी ट्रेन छुटी है
वो तुम्हारे शहर को जाने वाली आखिरी ट्रेन थी
और किसी ने रोका भी नहीं वो ट्रेन
शायद ट्रेन में बैठी थी वो माएं,
जो अपने बेटियों को देती हैं
प्रेम ना करने की हिदायत,
स्टार प्लस के सीरियल्स देखते हुए।
सिखाती है अपनी बेटियों को सिलाई बुनाइ कढाई
आचार बनाने के तरीके
और बताती है सोलह सोमवार के व्रत के बारे में

उस ट्रेन में बैठे थे सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले वो बाप
जिनके फिक्स्ड डिपोजिट अकाउंट में जमा होता है दहेज़ देने के लिए पैसा
और जिनके लिए दामाद का मतलब होता है सिर्फ डॉक्टर इंजिनियर और ऑफिसर
शायद इसलिए रुकी नहीं वो ट्रेन

कल तक तुम्हारे और मेरे शहर के बीच की दुरी किलोमीटर में थी
आज पता नहीं कैसे ये तब्दील हो गयी प्रकाशवर्ष में
कल तक तुम्हारे और मेरे शहर के बीच सिर्फ एक नदी थी
जिसके किनारों पर बैठकर हम दोनों गाते थे नदिया के पार फिल्म के गाने
पर ना जाने क्यूँ आज वो नदी बदल गयी है
इस ब्रह्माण्ड से भी बड़े समंदर की तरह
अब मैं समंदर की किनारे बैठकर सुन भी नहीं सकता तुम्हारे मूह से गाया हुआ
सात समंदर पार मैं तेरे पीछे पीछे आ गयी वाला गाना

दिवाली में जलाये जाते है दीये खुशियाँ मनाने के लिए
पर कभी कभी ये दिया घर भी जला देता है
दिवाली में जलाया जाता है अनार बम
धमाके के लिए नहीं
उसके इर्द गिर्द घूमकर खुशियाँ मनाने के लिए
पर कभी कभी ये हाथ में ही फट जाता है
और जला देता है
प्यार भी तो किया जाता है
खुश रहने के लिए ही ना
तो फिर क्यूँ तबाह हो जाती है
ज़िंदगिया प्यार में
अगर तुम्हे मुझसे इतना दूर ही होना था
तो फिर क्यों लिखा मेरे हाथ पे रांझा
और अपने हाथ पे हीर

हो गए ना हम दोनों भी जुदा
रांझा और हीर की तरह
अराहान

सोमवार, 30 सितंबर 2013

हैंगओवर

तुम्हे इमली खाना अच्छा लगता है
मुझे अंगूर खाना अच्छा लगा है
तुम्हारे पास इमली नहीं है
मेरे पास अंगूर नहीं है
तुम्हारे पास सिरके का एक बोतल है
मेरे पास शराब की एक बोतल है
मैं अपने बोतल से शराब पि लेता हूँ
तुम अपने बोतल का सिरका मुझे पिला देती हो
और फिर देर रात तक बिखर बिखर के टूटता है मेरा हैंगओवर
तुम्हारे आंसुओं से भींगते हुए
तुम्हारी बाहों में

अराहान 

तुम्हारी आँखों का पानी खारा है

समंदर का पानी खारा है
तुम्हारी आँखों का पानी भी खारा है
समंदर आँख नहीं है
पर आँख समंदर है
मुझे तैरना आता है
इसलिए मैं डूबता नहीं हूँ समंदर  में
पर तुम्हारी आँखों
डूब के मर जाना
एक अलौकिक प्रक्रिया है
क्यूंकि तुम्हारी आँखें
नहीं मानती है
भौतिकी के किसी सिद्धांत और नियम को
इसलिए मुझे हर बार डूबना होता है
तुम्हारी बिल्लियों जैसी आँखों में

अराहान 

Urban Legends

मेरे गितारों पे खून है
 कानों में डेथ मेटल का शोर है
 मेरे टी शर्ट पे मिडिल फिंगर है
 और चार सितारे है
 मैं असभ्य हूँ
 जंगली हूँ
 पर मेरे टीशर्ट के पीछे एक दिल भी है
 जहाँ एक खालीपन है
 थोड़ा धुआं और थोडा tar है
मेरे कमरे की दीवारों पर एक Graffiti है
मेरे बर्बाद हो जाने का डिजिटल आर्ट
मुझे लास्ट लीफ की जरुरत है
तुम्हे आम भी बनाने नहीं आता
मेरे पास आईना नहीं है
मेरे पास मुखौटा नहीं है
बस तुम्हारा चेहरा है
 और एक kaleidoscope है
 और सारी दुनिया का चिडचिडापन है
 मुझे झूमने का शौक था
 पर भटकने का नहीं, खोने का नहीं
 तुम्हारे हाथों में ता उम्र रहा मेरे ज़िन्दगी का joystick
मैं खोता रहा भटकता रहा
 तुम che guevera के चेहरे वाले टीशर्ट देकर मुझे आजाद बनाती रही
 और मुझे पता भी ना चला की कहाँ खो गया वो joystick
 कब मैं गुलाम बन गया अपनी ही लाचारी का
" You are a retard"
 कह के तुम गुम हो गयी
और मैं तुम्हे ढूंढता रहा हीर राँझा की कहानियों में
 मुहब्बत के झूठे urban legends में

 अराहान 

रविवार, 29 सितंबर 2013

लम्बी जुदाई सिर्फ गाना नहीं है

लड़के के मुताबीक
लम्बी जुदाई दर्दभरा अहसास है
सिर्फ गाना नहीं है
लम्बी जुदाई एक बिना मुहर लगा पासपोर्ट है
दूसरी दुनिया के उस देश का
जहाँ कोई खाप पंचायत नहीं है
कोई तालिबान नहीं है
लड़के को यकीन है
की एक दिन वो ढूंढ लेगा लड़की को
अपनी जिन्दगींनुमा फिल्म के आखिरी सीन में
क्या हुआ जो वो एक स्लमडॉग मिलियानायर नहीं है
लड़का इक्कीसवीं सदी का है
उसके पास अंतरजाल है
जिसके इस्तेमाल से वो पहुँच सकता है
अपनी प्रेमिका के पास
इसलिए वो भटकता है
अंतरजाल नामक ब्रह्माण्ड में
फेसबुक ट्विटर ऑरकुट जीमेल इत्यादि ग्रहों पर
ढूंढ चूका है वो
पर नहीं मिला है उसे लड़की का पता
लड़की के पास स्मार्टफोन नहीं है
कोई गैजेट नहीं है
लड़की के पास फेसबुक नहीं है
बस एक प्यारा सा मासूम चेहरा है
जिसपे लड़के ने कही थी हजारो किताब लिखने की बात
लड़की के पास एक कबूतर है
जिसे वो कबूतर जा जा कहके
छोड़ देती है आसमान में
इस ख्याल से की वो पहुंचा देगा लड़के के पास उसका सन्देश
पर ये इक्कीसवीं सदी है
और इक्कीसवी सदी ने इंकार कर दिया है
कबूतरों को डाकिया मान ने से
लड़की रोंती है
और गाती है लम्बी जुदाई वाला गाना
जिसको गाकर किया जा सकता है
चार दिन का इंतजार
लड़की फ़िल्में नहीं देखती
इसलिए उसे पता नहीं है आखिरी सीन के बारे में
Happy Ending के बारे में
उसे पता नहीं है की
चार दिन के जुदाई के बाद
आता है मिलन का दिन

अराहान

गुरुवार, 26 सितंबर 2013

मेरा दुःख

मेरा दुःख
किताबों पे पड़े धुल की तरह नहीं है
जो तुम
आशावाद के Vaccum Cleaner  से साफ़ कर दोगी
और ले आओगी मेरे चेहरे पर
सुखवाद की चमक

मेरा दुःख
मेरे माथे के पसीने की तरह नहीं  है
जो तुम अपने Pandorra's Box सरीखे Vanity Bag से
सहानुभूति का एक Tissue Paper निकाल कर पोछ दोगी

मेरा दुःख
Black Hole की तरह अथाह और स्याह है
जिसके तह तक जाने के लिए
तुम्हे भूलना होगा खुद को
गुमनाम होना होगा मेरे दुःख में

मेरा दुःख
तेज़ाब की तरह है
ख़त्म करने के लिए
जिसे पीना होगा तुमका
और जलना होगा

मेरा दुःख
समंदर की तरह गहरा है
जिसे समझने के लिए
तुम्हे डूबना होगा
इसी समंदर में

अराहान

मंगलवार, 24 सितंबर 2013

देखना तुम लौटोगी

तुम वक़्त नामक फ्लाईओवर पर चढ़ के 
मुझसे बहुत दूर निकल गयी हो
पर मैं अब तक बैठा हूँ इसी फ्लाईओवर के नीचे
सपनो के सिगरेट फूँकते 
पुराने दिनो की डायरियां पढ़ते 
तुम्हारा इन्तजार करते हुए 
ये सोचते हुए की कभी तो लाल होगा 
तुम्हारे रफ़्तार का ट्रैफिक सिग्नल 
कभी तो रुकोगी तुम 
सोचोगी मेरे बारे 
इसी वक़्त नामक फ्लाईओवर से झांकते हुए 
गुमनाम लोगो से मेरा पता पूछते हुए 
मुझे ढूंढते हुए

मेरे दिल से रिसता है मेरी बीती हुई ज़िन्दगी का अलकतरा 
जिसको जमीन पर ढाल कर तुम बना चुकी हो
यादों की एक पुरानी सड़क 
इस उम्मीद में 
की तुम जीत जाओगी ज़िन्दगी नाम का मैराथन
इस सड़क से गुजरते हुए 
पुराने दिनों की उन रेसों को भुलाते हुए 
जिनमे मैं जानबूझ के हारा करता था
तुम्हे जिताने के लिए

अपने डिग्रियों के फाइल के बीच से 
निकाल दोगी मेरे सारे ख़त 
और उनमे लिखकर अपना Bio Data 
बन जाओगी किसी कंपनी में कोई ऑफिसर, मेनेजर 
कोशिश करोगी की भूल जाऊं सब कुछ 
अपने आने वाले कल के लैपटॉप पर 
अपनी नयी ज़िन्दगी का ग्राफ बनाते हुए 
पर तुम याद रखना 
की जब भी तुम बिताओगी अपना वक़्त 
अकेलेपन के किसी पार्क में 
तुम्हे नजर आएगा 
मेरे मोहब्बत का एक घना सा पेड़ 
जिसकी छाँव में आकर 
ताजा हो जाएँगी तुम में 
मेरी पुरानी   बाते 
मेरी यादें 
मेरा चेहरा 
मेरे साथ बीता हुआ तुम्हारा हर एक पल
और दखना 
तुम उस दिन दौड़ी चली आओगी 
मुझे ढूंढते हुए 
वक़्त के इसी फ्लाईओवर पर 
जिसके निचे बैठ कर 
मैं कर रहा होऊंगा 
तुम्हारा इन्तेजार 
सपनो के सिगरेट फूंकते हुए
और पुराने दिनों की डायरियां पढ़ते हुए 

अराहान 

बुधवार, 18 सितंबर 2013

नन बायोडिग्रेडेबल

तुम इसे जला दो
दफना दो
फाड़ दो
या फिर पीस दो सिलबट्टे या ग्राइंडर में
ये ख़तम नहीं होगा
कायम रहेगा इसका वजूद
सदियों तक
बनकर रहेगा ये हिस्सा किसी सभ्यता का
आने वाले हजारों साल के बाद भी
मिलेंगे खुदाई में इसके अवशेष

मेरा प्यार इसी पॉलिथीन की तरह है
नन बायोडिग्रेडेबल

अराहान 

मुझे नफरत है बारिश से नोस्टालजिक हो जाने से

वो कहती है की वो बारिश देख के नोस्टालजिक हो जाती है 

पर मुझे 
याद आता है 
मेरी जेब में पड़ा दस का एक तुड़ा मुड़ा सा नोट
जो की मेरे सपनो से भी ज्यादा तुड़ा मुड़ा और बेरंग था 
पार्ले जी का वो ऐड
जिसे देखकर मुझे लगता था 
की दस रुपये भी बहुत काम के होते हैं 
मेरी मोटरसाइकिल के पंक्चर टायर 
मेरी उम्मीदों के गुब्बारे की तरह पिचके हुए थे 
मेरे कपड़ो पे कीचड़ के छींटे 
जिनके दाग अब भी है दिल पे
मिटा न सका इनको किसी के भी प्यार का सर्फ एक्सेल 
मुझे याद आता है की दाग अच्छे  नहीं होते  
मुझे तुम भी याद आती हो 
मारुती सुजुकी में बैठी 
बंद शीशे से झांकती 
भीगी बारिश में सुखी सुखी से 
मुझे देखती हुयी 
की कैसे में भीग गया 
सुखी सुखी इस बारिश में 

वो कहती है की वो बारिश देख के नोस्टालजिक हो जाती है
क्यूंकि वो अब भी देखती है बारिश 
बंद शीशे की खिड़की से 
इसलिए उसे अच्छा लगता है नोस्तालजिक हो जाना 

 मुझे नफरत है बारिश से 
नोस्टालजिक हो जाने से 
क्यूंकि अब भी काबिज है मेरे दिल पे एक दाग 
ये अलग बात है की साफ़ हो चुके हैं कपडे

अराहान 

 
 

मंगलवार, 17 सितंबर 2013

कवि


मैं लिखता था तुम्हे प्रेम पत्र
पर दे नहीं पाता  था

मैं सोचता था
क्यूंकि मैं कवि हुआ करता था
और इसलिए ये लाजिमी था की मैं सोचूं

मैं सोचूं की बादल बादल नहीं होते
बादल रेत के वो घरौंदे होते हैं
जो पानी की एक लहर से फना हो जाते है
आसमा आसमा नहीं होता
एक बड़ा सा जादुई  आईना होता है
जिसमे दिखाई देती है हमारी आकांक्षाएं
परिंदों के रूप में
इंसान इंसान नहीं होता
खिलौना होता है
भगवान् नाम के एक बच्चे का खिलौना
जो दुनिया नाम का  एक घरौंदा बनाकर
छोड़ देता हैं इंसान को खेलने के लिए


















मैं सोचता था
क्यूंकि मैं कवि हुआ करता था
मैं लिखता था तुम्हे प्रेम पत्र
पर दे नहीं पाता  था
क्यूंकि मैं सोचता था
सिर्फ सोचता था
मैं सोचता था की
मैं तुम्हे लिखूं ढेर सारे प्रेम पत्र और भूल जाऊं
और मेरी माँ बेच दे सारे ख़त कबाड़ीवाले को रद्दी समझकर
और कबाड़ी वाला बेच दे ये ख़त उस दुकानदार को
जिसके दूकान से तुम लेती हो घर का राशन
और एक दिन वो दुकानदार तुम्हे दे दे कोइ सामान
उसी प्रेमपत्र में लपेट के
और तुम्हे पता चल जाए
की तुम्हारे घर के बगल में रहनेवाले लड़के की ख़ामोशी में
बहुत प्यार है बहुत तड़प है

मैं सोचता था
की मैं एक दिन कागज पर प्रेम लिखकर
फ़ेंक दूंगा तुम्हारे घर के अहाते में
जहाँ तुम उगाती हो गुलाब के फूल
और इन्तजार करूंगा उस दिन का
जब तुम्हारे उस अहाते में उगेगा एक पौधा
जिस के हर पत्ते पर एक प्रेम पत्र लिखा होगा

मैं सोचता बहुत था
क्यूंकि मैं कवि हुआ करता था
लेकिन मैं वही सोचता था
जो  मैं सोचना चाहता था
इसलिए मैंने कभी ये नहीं सोचा था की
उस दूकान से सामान खरीदने के बाद
घर आकर तुम फेंक देती होगी वो कागज़ कूड़ा समझकर
बिना पढ़े
और
तुम्हारे घर का दरवाजा खुला होने के कारण
एक दिन चर गयी होंगी बकरियां
मेरे सारे प्रेम पत्र

मैं सोचता था
क्यूंकि मैं कवि हुआ करता था
और मैं कवि हुआ करता था
इसलिए नाकाम हुआ करता था

अराहान