मंगलवार, 3 जुलाई 2012

छोटे शहरों मे प्यार


छिप छिपाकर होता है जवां प्यार छोटे शहरों मे
किसी गुमनाम गली के अँधेरे कोने में
यहाँ अक्सर कान खोल कर खड़ी होती है दीवारें
इसलिए खामोशियाँ में सब कुछ बयाँ करना होता है
शुरू होते है खतों के सिलसिले
तमन्नाये लेती है अंगडाई कागजों में
लगने लगता है सब कुछ अद्भुत अनोखा सा
बीतने लगता है वक्त
ख्वाबों के स्वेटर बुनने में
इस तरह से जन्म लेता है एक प्यार का पौधा
समाज के आँगन में
हर सच और हर झूठ से अनजान
एक पवित्र और मासूम सा प्यार
जो होता है मशगूल खुद में
इस बात से होता है अनजान की दुनिया को भनक लग गयी है इसकी
मंडराने लगे है संस्कृति और सभ्यता के भौरें उसके इर्द गिर्द
फूल खिलने से पहले ही कहीं तेज होने लगा है नियम कानून का उस्तरा
और बढ़ रहा है इस नए प्यार के तरफ

ब्रजेश कुमार सिंह