शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

खामोशियाँ


प्रेम किसी भाषा किसी शब्द का मोहताज नहीं होता।खामोशियाँ भी कभी कभी इतना कुछ कह जाती है जो शायद जुबान से बोलकर भी  नहीं कही जा सकती। कुछ ऐसी हीं कहानी उनदोनो की भी थी।उन दोनों को भली भाँती पता था की उनके दिल में क्या है पर एक अनजाने से डर के कारण वे दोनों चुप रहते। ना लड़का कभी कुछ कहता ना लड़की कभी कुछ कहती। बस वे दोनों एक दुसरे को चोरी चोरी देखते और खुश रहते। लड़की को अपनी दुनिया रंगीन लगने लगी. अब वो दिनभर जी तोड़कर काम करने के बावजूद भी थका थका सा महसूस नहीं करती। अपने सौतेली माँ की लाख डांटे  जाने के बाद भी उस के चेहरे पर मुस्कराहट ही दौड़ती। लड़की एक अलग ही दुनिया में जीने लगी थी ।अब वो आईना देख कर मुस्कुराती और सुन्दर दिखने के सारे तरीके आजमाती। उधर लड़का भी खोया खोया सा रहने लगा। स्कूल में पिछली बेंच पर बैठकर वो ख्वाब देखा करता, डेस्क पर लड़की का नाम अपने नाम के साथ लिखता और एक दिल का चित्र बना देता और अपनी कलाकारी पर मन ही मन खुश होता, अपनी इस कलाकारी पर इनाम के बदले वो अध्यापक की छड़ी खाकर भी उफ़ तक नहीं करता मुस्कुराता रहता। अपलक आसमान की तरफ देखना , कवितायेँ लिखना और तस्वीरे बनाना उसकी आदतों में शुमार हो गया था । लड़का लड़की दोनों किसी और हीं दुनिया में  जी रहे थे। उन दोनों को किसी की खबर ना थी. वो दोनों प्रेम नामक एक हसीन बीमारी के गिरफ्त में थे और सदा इसकी गिरफ्त में रहना चाहते थे. इन दोनों का ये अदृश्य प्रेम कई दिनों तक यूँ ही चलता रहा. एक दिन लड़के ने हिम्मत कर के लड़की को एक प्रेमपत्र लिखा  जो उसने ऐसा किसी सिनेमा में नायक को नायिका के लिए लिखते देखा था,  और चुपके से लड़की के आने जाने वाले रास्ते के पास फेंक दिया। लड़की अपने सामने एक कागज़ के टुकड़े को देखकर पहले थोड़ा चौंकी लेकिन बाद में छिपते छिपाते उस पत्र को उठाया और पढ़ा और एक मुस्कराहट के साथ उस कागज़ के टुकड़े को अपने दुपट्टे में छिपाकर चली गयी। लड़का कोने में छिपकर लड़की की सारी हरकतों को देखकर और ये सोचकर मन ही मन बहुत खुश हो रहा था की लड़की ने उसके प्रेम को निवेदन स्वीकार कर लिया है। लड़के ने मन ही मन उस फिल्म के नायक को भी बहुत धन्यवाद दिया जिसकी वजह से उसे यह तरकीब मिली थी.
अगले दिन लड़के को भी एक ख़त मिला जिसमे उस लड़की ने भी ये बात स्वीकारी की वो भी उस लड़के से प्यार करती है।इस तरह उनके जिंदगी में एक नया मोड़ आया और दोनों के बीच खतों का सिलसिला शुरू हो गया ।

फोटो: google.com 

एक दिन लड़के ने लड़की से मिलने की बात कही।जवाब में लड़की ने कहा की मिलने से पहले वो कुछ कहना चाहती है। लड़के ने भी कुछ ऐसी ही बात कही की वो भी मिलने से पहले उस से कुछ कहना चाहता है जो वो अबतक नहीं कह सका।अंत में उन दोनों में ये तय हुआ की वो दोनों अपनी अपनी बात उसी दिन कहेंगे जिस दिन वो मिलेंगे। फिर वो दिन भी आया जिस दिन उन दोनों को मिलना था। जेठ की उस दोपहरी को जब आसपास के सभी लोग अपने अपने घरो में दुबके थे वे दोनों दहकते सूरज को धता बताकर छत पे मिलने  आये।लड़की और दिनों के मुकाबले ज्यादा खुबसूरत लग रही थी और लड़के ने भी उस दिन अपने सबसे अच्छे कपडे पहने थे, जिसमे वो किसी शहजादे की तरह लग रहा था। लड़की लड़के को देखकर शर्मा रही थी और जमीन की ओर देख रही थी और लड़का  भी लड़की से नजरे नहीं मिला पा रहा था। दोनों एकदूसरे के दिल की धडकनों को महसूस कर रहे थे, जिसकी रफ़्तार और दिनों के मुकाबले थोड़ी ज्यादा थी। कुछ देर तक यूँ ही रहे, बिना कुछ बोले। जब यूँ ही कुछ वक़्त गुजर गया तो लड़के ने आगे बढ़कर लड़की को अपने पास बुलाया  और उसकी आँखों में देखने लगा गोया की कुछ पढ़ रहा हो। लड़की भी लड़के की आँखों में  कुछ पढने की कोशिश कर रही थी। ना तो लड़के ने कुछ बोला ना ही लड़की ने।उन दोनों को मिले आधे घंटे बीत चुके थें  लेकिन अबतक उन दोनों के बीच खामोशियाँ नहीं टूटी। दोनों कुछ कहना चाह रहे थे लकिन कुछ बोल ना पाए। लड़की बड़े मासूमियत से लड़के की तरफ देखती की लड़का कुछ बोलेगा और लड़का भी बड़े बेचैनी से लड़की की तरफ देख रहा था की पहले लड़की बोलेगी। पर उन दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला। लड़का सोच रहा था की लड़की शर्मा रही है और लड़की भी कुछ ऐसा हे सोच रही थी।अंत में बहुत देर से बुत बने लड़के ने कुछ हरकत की, उसने एक कागज का टुकड़ा अपनी जेब से निकाला और लड़की के हाथ पर रख दिया और लड़की ने भी कागज़ का एक टुकडा अपने दुप्पट्टे की चुन्नी से निकाला और लड़के के शर्ट की जेब में रख दिया। लड़का लड़की दोनों ने एक नजर से एकदूसरे को देखा और दूसरी नजर से ख़त को और पीछे मुड़कर अपने अपने राह को जाने लगे। लड़का और लड़की दोनों ने दो कदम पीछे मुड़कर ख़त खोला और पढने लगे। और अगले ही पल ना जाने ऐसा क्या हो गया की लड़का लड़की दौड़कर एकदूसरे के करीब आये और एकदूजे से लिपट गए। दोनो के चेहरे पर मुस्कराहट थी और आँखों में थोड़ी नमी।

लड़के और लड़की दोनों ने ख़त में एक ही बात लिखी थी
"मैं बोल नहीं सकता"
"मैं बोल नहीं सकती" 


अराहान