शनिवार, 21 सितंबर 2013

इंसान, इंसान नहीं होता एक अदद लाश का बीज होता है

इंसान
इंसान नहीं होता
एक अदद लाश का बीज होता है
जिसे बोते है कुछ पारखी किस्म के लोग
समय कुछ ख़ास मौकों पर
जब उन्हें लगता है की अच्छी  होनी चाहिए इस बार लाश की फसल
तब वो अपने अपने खेतों में फोड़ते हैं बम
करवाते हैं आतंकी हमले दंगे
और सींचते हैं बीजों को खून से
जिनसे जन्म लेते हैं तरह तरह के लाश
कुछ हिन्दू
कुछ मुसलमान
कुछ कुछ इजरायली
कुछ फिलिस्तीनी
कुछ गोरे
कुछ काले
कुछ शिया
कुछ सुन्नी
और फिर इन्ही लाशों से सेंकी जाती है
लाल रोटियाँ
सियासत की
जिहाद की
धरम की
मजहब की
और फिर एक दिन इन लाशों को फिर से दफ़न कर दिया जाता है
क्यूंकि दे चूका होता है एक  फल
ये लाश का बीज

अराहान