शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

रुकी हुयी एक शाम

तुम्हे पता है 
जब एक ढलती शाम 
मैंने पूछा था तुमसे 
की क्या होता है मतलब प्रेम का 
तुम्हारे चेहरे पर मासूमियत 
इठलाती हुयी बोली थी 
"प्यार का मतलब तुम,
और तुम का मतलब प्यार" 
तुम्हे पता है वो शाम अब तक नहीं ढली।  
वो शाम अब भी रुकी है वहीँ कहीं, 
नदी के किनारे, 
शहतूत के पेड़ों के पास, 
आसमान को धोखा देते हुए।   
बस हम तुम आगे बढ़ गए हैं 
अपने अपने वक़्त से बहुत  आगे 
अब बदल चूका है मतलब "तुम" का 
और प्यार का 


अराहान