सोमवार, 28 फ़रवरी 2011

मैंने कवितायेँ नहीं चुराईं

मैंने कवितायें नहीं चुराई है 
मैंने तो किसी का दर्द चुराया है 
एक बेसुरे दर्द को 
छंदों में सजाया है 
मैंने कवितायें नहीं चुराई है 
मैंने तो किसी का दर्द चुराया है 
बूँद बूँद गिरते आंसुओं को 
कागज़ पे उगाया है 
उभर आती है जो माथे पर परेशानियों की शिकन 
मैंने इसे शब्दों  के जंगल में छिपाया है 
गुमनामी की दलदल में दबी थी कुछ आवाजें 
मैंने इन आवाजों को एक गीत में गुनगुनाया है 
मैंने कवितायें नहीं चुरायी 
मैंने तो किसी का दर्द चुराया है 
दुनिया भर की मुश्किलों को 
अपने सीने से लगाया है 
मैंने कवितायेँ नहीं चुराईं मैंने तो 
किसी का दर्द चुराया है

ब्रजेश सिंह

ब्रजेश  सिंह 'अराहान'

बड़ी मुश्किलें है इस जमाने में

बड़ी मुश्किलें है इस जमाने में 
अरसों लग जाते हैं कुछ पाने में 
हम तो यूँ ही खुद को लुटा बैठे 
लोग कहते हैं कुछ बचा नहीं इस दीवाने में 

फूल खिलतें थे कभी हमारे भी आशियाने में 
शख्शियत थी हमारी भी किसी ज़माने में 
हमदर्द थी दुनिया भी हमारी तब 
आज कतराते है लोग हमारे पास आने में 

देर होने लगी थी अब उनके भी आने में 
इंतज़ार फिर भी कर लेते थे हम जाने अनजाने में 
उन्होंने अपनी वफ़ा का ऐसा सुबूत दिया 
अफ़सोस होता है हमें उनको भी आजमाने में 

सुकून मिलता है हमें अब खुद को छिपाने में 
खुशियाँ ढूंढता हूँ अब अफ़साने में 
खामोशी में  जीना सिख लिया है हमने 
महफिले सजती है अब वीराने में 

ज़िन्दगी बस्ती है अब मयखाने में 
कुछ मदद मिलता है यहाँ सबकुछ भुलाने में 
बुला ले ऐ खुदा मुझे अपने पास 
अब तू भी दिल न लगा मुझे तड़पाने में 

बदल गयी है तेरी दुनिया ओ उपरवाले 
सबकी ख़ुशी है अब कुछ ना कुछ पाने में 
आज हम भी खुश होते 
अगर कल खुश न होते 'लुटाने' में 

मौत जी लेते हैं हम ज़िन्दगी के बहाने में 
एक दर्द ही है जो साथ है हर पल 
दिल्लगी नहीं किसी की हमारे पास आने में 
अब तो बस धडकनों के थमने का इंतज़ार  है ऐ खुदा 
क्यूंकि बड़ी मुश्किलें है तेरे इस जमाने में 

ब्रजेश सिंह

जाने से पहले

ज़िन्दगी तुझसे अच्छा नाता रहा 
अपनी जिंदादिली तुझपे लुटाता रहा 
कभी तुने रुलाया, कभी हंसाता रहा 
मैं दर्द अपना सबसे छिपाता रहा 
अब वक़्त आ गया है जाने का
ऊपर एक नया आशियाँ बसने का 
तू देख लेना मुझे आसमां में बारिश के आने से पहले 
तुझको मैं अपना अक्स देता हूँ जाने से पहले 

ब्रजेश कुनार सिंह 'अराहान'

जूतें

जूतें मायने रखते हैं 
उस मोची के लिए 
जिसके लिए ये रोटी कपडा और मकान है 
इसकी उपस्थिति से सार्थक इसकी छोटी सी दूकान है 

जूतें मायने रखते हैं 
उन कोमल पैरों के लिए 
जिनकी रास्ते के पत्थरों और काँटों से होती है बैर

जूतें मायने रखते हैं 
उन तमाम बेटियों वाले गरीब पिताओं के लिए 
जिम्की 'पगड़ी' बन जाती है हमराही 
उन 'दो जोड़े' जूतों की 

जूतें मायने रखते हैं 
उस नौकर के लिए 
जिसकी माँ हफ्तों से होती है बीमार 
और वो मांग बैठता है अपने मालिक से 
बीच महीने में ही अपनी अगली  पगार 

जूतें मायने रखते हैं 
उस औरत के लिए 
जिसका पति पीता है शराब 
और वो चुपचाप सहमी रहती है 
क्यूंकि उसके बोलने से टूट जाती है 
उन दो जोड़े जूतों की चुप्पी 

जूतें मायने रखते हैं 
उन तमाम 'भरतों' के लिए 
जिनके लिए अहम होता है 
राम का पुनर्वास 

जूतें मायने रखते है 
उस भिखारी के लिए 
जिसको मिल जातें है फटे पुराने जूतें 
बिना इसके मांगने पर 
और कभी खा लेते है ठोकर इन्ही जूतों से 
पेट की आग बुझाने के खातिर 

ब्रजेश सिंह 

विनाश

रक्तरंजीत पड़ी है भूमि 
मृत्यु का ही पाश है
यहाँ वो मर रहा है 
वहां पड़ी उसकी लाश है 
यहाँ इस घोर तिमिर में 
रौशनी का पता नहीं 
शर्वरी का ही वाश है
यही तो विनाश है 

आज लालच लहरों की भाँती उफान पे है 
नैतिकता तो मरी हुयी शमशान में है 
वसुधा को तो जहन्नुम बना ही दिया है 
नजरे अब इनकी आसमान पे है 
मुहरो से घर पड़े है इनके 
फिर भी स्वर्ण की तलाश है 
यही तो विनाश है 

आज बुराई का बोलबाला है 
सच्चाई और अच्छाई को कबका मूक कर डाला है 
रोज लूट हत्या चोरी डकैती होती है 
हैवानियत के ठहाको के बीच इंसानियत रोती है 
सत्य अहिंसा दया इत्यादि का अब किताबों में ही निवास है 
यही तो विनाश है 

ब्रजेश singh
वर्ष २००७

(यह  कविता मैंने दसवीं कक्षा में लिखी थी, तन मेरे लिखना का सिलसिला शुरू ही हुआ था )

ख्वाहिशें

तन्हा, तन्हा हैं हम
तन्हा हैं ख्वाहिशें 
मंजिल- मंजिल ढूंढते फिरे 
पर मंजिल हैं 'ख्वाहिशें' 
खुला, खुला एक आसमां है ऊपर \
पर पंख हैं 'ख्वाहिशें'
जिंदा- जिंदा, दिल है
पर ज़िन्दगी है 'ख्वाहिशें'
काली काली रात है 
एक सवेरा है 'ख्वाहिशें'
इंसान- इंसान हर जगह 
पर इंसानियत हैं 'ख्वाहिशें'
मंदिर- मस्जिद हर तरफ 
पर इबादत है 'ख्वाहिशें' 

ब्रजेश सिंह 

Chasing A Mirage



Chasing A Mirage
Eyes searching for a mate
But, only loneliness is in my fate
Life exist only in dreams and imaginations,
I need something I need someone
To keep me away from isolation
I am stuck in a desert
I am caught up in a sandstorm
Searching for a shelter
Searching for a home
I am thirsty
I have to assuage my thirst
But how can i get aqua
In this deadly desert
But I am searching
I am running
I am panting
I am gasping
I am sweating profusely
Winds are being my foe, blowing swiftly
 I am tired
I am fed up
I think its a nightmare
And I should wakeup
But, I have to accept this realism
That it is not a dream
 I am running again
In search of nectar
In search of a fountain
I have to survive
I have to remain alive
I am optimistic
I have to fight
After the darkness
There is light
 Silver is flowing
Below the horizon
It will calm me
From the giant sun
I am shouting
“I am coming”
“I am coming”
My voice scattering, spreading
O life listen" I am coming"
O Love listen "I am coming"
Coming towards you
Coming towards the rare dew
 I am chasing
But, it is  far
I have kept chasing
But, It is still far
It is Calling me
Calling me to caress
Calling me to refresh
But I am unable to be there
I am falling 
I can not survive here
Lips Are Drying
Eyes Are Crying
I am leaving this world
I am dying
I am dying without you
 I am dying in your absence
But, every moment i have felt your presence
I was coming to you 
You were going away
I am a fool right now
I was a fool then
In this desert
I was searching for you
I was searching for a fountain
Neither I got you
Nor the rare dew
I am wondering, how foolish I was
When I was chasing a mirage
Why I was chasing a mirage 


Brajesh Singh

I am death

I Am Death
I am death,
But I am afraid of you.
I know its too contradicting.
But, its really true.

I am loosing my mercilessness,
I am loosing my cruelity,
Dont come closer,
I am afraid of your purity.
I am afraid of your generosity.
You are crystal clear like dew.
Thats why I am afraid of you.

I have kissed millions of your fellows,
But why my lips are shivering before kissing you.
I can't embrace you,
I can't caress you.
I am afraid of your chastity.
I am afraid of your virginity.
You are too tender.
You are very new.
Thats why I am afraid of you.

Now, I can't harm you.
I am regretful for what I was going to do.
I am death
But I am dying for you.
Because I am afraid of you.

Brajesh Singh