बड़े दिनों से मैं ये सोच रहा था की मुझे भी अब एक ब्लॉग लिखना चाहिए पर मैं इसी असमंजस में था की मैं लिखूं तो क्या लिखूं, किस विषय पर लिखूं. दिमाग में चल रहे ये विचार मुझे अब तक लिखने से रोके हुए थे पर आज मैंने यह तय कर लिया की बिना व्याकरण, शैली, शिल्प और विषय वस्तु की परवाह किये बगैर जो मन में आएगा लिख डालूँगा. और इसी लिए मैं आज इस ब्लॉग पोस्ट से पहली बार अपने ब्लॉग में कविता से अलग कुछ लिखने जा रहा हूँ.
बचपन से ही मुझे पत्रिकाएं, कॉमिक्स और उपन्यास पढने का शौक था हालाँकि उस समय बालहंस, नन्हे सम्राट,
बचपन से ही मुझे पत्रिकाएं, कॉमिक्स और उपन्यास पढने का शौक था हालाँकि उस समय बालहंस, नन्हे सम्राट,
चम्पक, नंदन, नन्हे सम्राट इत्यादि पत्रिकाएं ही पढने को मिलती थी. कॉमिक्स के नाम पर हम राज कॉमिक्स पढ़ा करते थे, नागराज, डोगा, ध्रुव, फाइटर टोड्स, परमाणु, एन्थोनी, गमराज, भोकाल, और बांकेलाल ये हमारे चहेते कार्टून चरित्र हुआ करते थे. और उन् दिनों हम इन्ही चरित्रों से प्रभावित होकर हीरो विलेन का खेल भी खेलते थे जिसमे मैं हमेशा विलेन का किरदार निभाता था. उपन्यास की बात करें तो उस समय हमारी पहुँच पिनोकियो, ८० दिनों में विश्व यात्रा, गुलिवर'स ट्रेवेल्स तक ही थी और वो भी हमने इनका हिंदी अनुवाद ही पढ़ा था. कुछ बड़ा होने पर सुमन सौरभ, क्रिकेट सम्राट, Reader's Disget, इत्यादि पत्रिकाओं के पाठक बने और पढ़ते पढ़ते लिखने का शौक भी पाल लिए. मैं उस समय सातवीं कक्षा का छात्र हुआ करता था जब मैंने अपनी पहली कविता लिखी थी. यह घटना मेरे जीवन की एक क्रांतिकारी घटना थी. जिसके प्रभाव ने से हम इतने प्रभावित हुए की आगे चलकर कवि बनने का सपना पल लिए. लेकिन जब कुछ बड़े हुए और जब पता चला की कविता किस चिड़िया का नाम है तब हमको आटे दाल का भाव मालूम चल गया और हम दिल से कवि बनने का ख़याल निकाल दिए, लेकिन कविता और साहित्य में रूचि बनी रही. लिखने का क्रम अब भी जारी है पर सर से कवि बनने का भुत काफी हद तक उतर चुका है. अब ज्यादा समय पढ़ने में बितता हैं.
"एक अच्छा लेखक बनने से पहले हमें एक अच्छा पाठक बनना पड़ता है"
अरहान
"एक अच्छा लेखक बनने से पहले हमें एक अच्छा पाठक बनना पड़ता है"
अरहान