शनिवार, 20 दिसंबर 2014

नौकरी

नवम्बर की उस आवारा शाम को लड़का रोज की तरह पार्क की बेंच पर बैठा था,उस लड़की की इंतजार में, जिस से वो प्यार करता था।दिन भर इधर उधर दफ्तर दर दफ्तर डिग्रीयों की फ़ाइल लेकर मारा मारा फिरने के बाउजूद भी उसे नौकरी नहीं मिली थी। वो रोज शाम की तरह इस शाम को भी पार्क की उस बेंच पर वो उस लड़की का इन्तजार कर रहा था जिसके गोद में सर रखकर वो रोज की कहानी बताता था और अपने आँखों क3 आंसू बहने से पहले ही उसके दुपट्टे में पोंछ लेता था। उस दिन काफी देर हो गयी थी लड़की के आने में। लड़का बेचैनी में पार्क के उस बेंच पर अपना और उस लड़की का नाम उकेर रहा था। तभी दूर से उसे कोई आता हुआ दिखाई दिया, शाम के धुंध में उसे कुछ भी साफ़ नहीं दिखा रहा था। जब वो धुंधली तस्वीर उसके करीब आई तो उसे एक छोटे से बच्चे का चेहरा नजर आया। बच्चा जब सामने आया तब उसने हाथ से एक पैकेट निकाल कर उस लड़के को दिया और तुरंत ही शाम की धुंध में गायब हो गया। लड़के एक पल के लिए चौंक गया फिर उसने अनमने ढंग से उस पैकेट को खोला। पैकेट में कुछ कागज़ लिफाफे थे। जब उसने पहला लिफाफा खोला तो उसमे किसी कंपनी का को दस्तावेज नजर आये। पूरा पढ़ने पर उसे पता चला की वो तो उसी कंपनी का कॉल लेटर था जिस कंपनी में नौकरी के लिए वो आज सुबह सुबह गया था। लड़का बहुत खुश हुआ, उसकी सारी चिंताए दूर हो गयी थी। वो मन ही मन खुश हो रहा था की नौकरी मिलने की खबर सबसे पहले वो उस लड़की को देगा। लड़का इतना खुश था की ख़ुशी में उसने दुसरा लिफाफा नहीं खोला। कुछ देर बाद जब उसके आँखों से सुनहरे भविष्य की धुप हटी तब उसने दूसरा लिफाफा खोला। ये कोई शादी का कार्ड था। पूरी तरह से कार्ड पढ़ने पर वो स्तब्ध रह गया। उसकी आँखों से आंसू धीरे धीरे रास्ता ढूंढते ढूंढते निकलने लगे। लड़के को उस समय लड़की के दुपट्टे की बहुत ज्यादा जरुरत महसूस हुई। पर उस समय लड़की उसके पास न आ पायी। शाम के उस धुंध में लड़के को एक और अक्स नजर आया। मानो वो अक्स दूर से उस लड़के को देख रहा हो पर पास नाही आ रहा। लड़का पार्क की बेंच से उठकर उस अक्स के करीब जाने लगा पर वो जितना उस परछाई के पीछे जाता परछाई उतने ही दूर जाती रही। और एक समय के बाद परछाई नवंबर की उस धुंधली शाम में न जाने कहाँ खो गयी।

अगले महीने की पहली तारीख लड़के की जिंदगी की एक महत्वपूर्ण तारीख थी। वो दिन लड़के की नौकरी का पहला दिन था और उसी दिन लड़की की शादी उसके कंपनी के मालिक, उसके बॉस से हो रही थी।

घर वापसी

वो गली जिसे भुतहा समझकर लोगो ने अनदेखा कर दिया है कभी उस गली में जाना, वहाँ 11वी क्लास एक लड़का जस का तस बैठा मिलेगा क्लास की पिछली बेंच पर एक लड़की को टुकुर टुकुर ताकते हुए, मुट्ठियों में कागज़ के टुकड़े को भींचे हुए। उस लड़की की शकल तुमसे कितनी मिलती है ये सोच कर तुम चौंकना मत।

वो शहर के आखिरी छोर पे जो एक खंडहर है न कभी तुम उसमे जाना, वहाँ तुम्हे वही लड़का मिलेगा सड़क पर अपनी सायकिल की चेन लगाते हुए, सड़क के उस छोर पर अपने पापा के स्कूटर पर बैठी वो लड़की भी तुमको मिलेगी, उसे कहना लड़का शराब पीने से कभी नहीं मरेगा।

वो जो मेरे घर के पीछे वो रेलवे का यार्ड है न तुम उसमे जाना, वहाँ तुम्हे वही लड़का दिखेगा उसी लड़की के साथ, एक पूल के पर,तुम उनदोनो को बस इतना कहना की पूल से कूद जाना ही उन दोनों के लिए बेहतर है। पूल के दोनों तरफ इंसानों की बस्ती है, मुखौटे वालो इंसानो की बस्ती।

वो जो तुम्हारे घर के पिछवाड़े जो सुखा कुवां है न तुम उसमे झाँक के देखना वहाँ वो लड़का खड़ा है किसी स्टेशन पर, दुनिया से बहुत दूर जाने के लिए, किसी ट्रेन का इन्तजार कर रहा होगा, तुम उस लड़के को बस इतना कहना की वो लड़की उसका इंतजार कर रही है उसी पूल पर जहाँ उस से वो आखिरी बार मिली थी। सुनो तुम एक काम करना दोनों को पूल से धक्का दे देना। और लौट आना हमेशा के लिए मेरे पास उसी पूल के पास सालो पहले जहाँ से हमदोनो कूदे थे।

रविवार, 19 अक्तूबर 2014

तुम

तुम हो
किसी प्राचीन कालीन शिला पे
किसी अजीब भाषा में लिखे अभिलेख की तरह
जिसे मैं किसी पुरातत्त्ववेत्ता की तरह
समझने की कोशिश करता हूँ 
पर समझ नहीं पाता
मैं तुम्हे मैं रख देना चाहता हूँ
अपने ह्रदय के संग्रहालय में
हमेशा के लिए संभालकर
इस उम्मीद के साथ की
दिल की धड़कने बंद होने से पहले
मैं समझ जाउंगा तुम्हे

आईना

तुम्हारा दायीं तरफ एक बड़ा आईना है 
तुम्हारे बायीं तरफ भी उतना ही बड़ा आईना है 
मान लो तुम्हारे दायीं तरफ के आईने को मैं जिंदगी कहता हूँ 
और बायीं तरफ के आईने को मौत 
अब जरा करीब से देखो दोनों आईने में बारी बारी 
तुम कितनी दफा मरते हो
कितनी दफा जीते हो
जिंदगी नामक आईने में है मौत
मौत नामक आईने में है जिंदगी
और उन्दोनो आईनो में हो तुम खड़े बेवक़ूफ़ की तरह
जिंदगी और मौत को समझने की कोशिस करते हुए
एक भ्रम एक illusion में गहराई तक डूबते हुए

परिया

रात के दो बजे आवारा लड़का बैठा है छत की मुंडेर पर
रोज की तरह फिर से घर छोड़ देने की धमकी देकर
भूखे प्यासे आसमान को ताकते हुए
लड़का आसमान को ताककर
अपने मोबाइल पर गूगल करता है fairies 
जानना चाहता है की कैसी दिखती है परियां
लड़के के 2G मोबाइल पर गूगल सर्च कम्पलीट होने से पहले
बाजू वाले छत से कूद के आती है एक लड़की
हाथो में दो रोटी और सब्जी लिए
उस दिन लड़के को गूगल के सर्च रिजल्ट आने से पहले पता चल जाता है
की कैसी दिखती हैं परियां
परिया भी आम लड़कियों की तरह आती है दुपट्टे ओढकर
सोती रातो में सबसे नजरें बचाकर
बिना पंखो के उड़कर
परिया भूखे पेट सोती हैं
औरो को अपने हिस्से का खाना खिलाकर

कविता


जो तुम्हारे काजल से घुलकर बन गयी स्याही
और लिखने लगी विरह की एक अंतहीन कविता

मैंने यूँ तो चूमा है कई दफा तुम्हारे चेहरे को
पर अफ़सोस उस दिन न छु सके मेरे होठ तुम्हारे आँखों को
अगर उस दिन मैं तुम्हे चूमता तो
शायद मिटा देता अपने होठो से वो विरह की कविता
लिख देता तुम्हारे चेहरे पर मुस्कराहट

देखो ना मैं वक्त के उसी जाल में उलझा
अब तक लिख रहा हूँ कविता
बस जब कभी तुम्हे तुम्हारे चेहरे पर मुस्कराहट लिखा दिखाई दे
मुझे इत्तेलाह करना
मैं उस दिन तोड़ लूँगा अपनी कलम

ऐ चाँद सुन जरा



ओ बीती हुई रातो के बासी चाँद
ज़रा झाँक के देख जमीन पे
क्या उस पागल लड़की ने फिर से जला लिए है अपने हाथ
तारे गिनते हुए
या फिर से किसी टूटते तारे ने, 
तोड़ा है उसकी बंद आँखों में सजता कोई सपना
या फिर से कोई मतवाली हवा
उड़ा ले गयी है उसके सारे प्रेम पत्र
और वो ढूंढ रही है कागज़ के गीले टुकड़ो को
हाथो में जुगनू पकड़ कर
ओ जागती रातो के ऊबते पहरेदार
जरा नजरे फेर उसके घर की खिड़की पर
और बता
की क्या अब भी उसकी झील सी आँखें
नम होती है किसी के इन्तजार में
क्या अब भी दौड़ पड़ती है वो दरवाजे की तरफ
हलकी सी आहट पर
क्या अब भी भीगा भीगा सा होता है उसके दुपट्टे का कोना
क्या अब भी उसके आंसू रुस्वा कर जाते हैं उसके काजल को
ओ आसमान के सबसे फरेबी आशिक
जरा बता दे उस पागल लड़की को
की मैं प्रतिक्षण उसकी तरफ बढ़ रहा हूँ
माना हूँ मैं अब भी उस से सैकड़ों प्रकाश वर्ष दूर किसी और आकाशगंगा में
पर देखना एक दिन जरूर टूट की गिर पडूंगा उसके घर के अहाते में
किसी भटके हुए उल्कापिंड की तरह

बेसुध रातों के आवारा नोट्स

यहाँ हंसने के लिए बस अपना चेहरा था 
और सबके माथे पर चिपका था आईना 

रात जब भी खांसते हुए, छाती पे जाते है हाथ 
हथेलिय महसूस करती है पुराने जख्मो के निशान 
शराब में डूबा मन, 
डायरी में लिख देता है की 
पिछली जन्म में मैंने किया था प्यार 
या फिर
मेरी यादाश्त बहुत कमजोर है
याद नहीं हो पाते पांच फोन नंबर
की हर नंबर डायल करने के बाद
प्यार में पागल किसी लड़की का प्रेत कहता है
"डायल किया गया नंबर मौजूद नहीं"

तकिये के नीचे शायद अब उतनी जगह बची नहीं
की दो लोग कर ले आराम बाहों में बाहें डाल कर
रो सके, हंस सके या गा सकें कोई फ़िल्मी गीत
इसलिए पहले जहाँ होते थे
पागल लड़कियों के गुलाबी ख़त
अब वहा नींद की गोलियां बना चुकी है अपनी सरकार

एक दिन गूंगा रहने में क्या जाता है
की जो लड़कियां रुमाल पर कढ़ाई कर के लिखती थी मेरा नाम
अब वो खरगोशों की मौत पर आंसू नहीं बहाती
अब वो नोच लेती है उन खरगोशो के चमड़े से रुई
और कानों में खोसकर बहरी हो जाती हैं

रात चाँद आसमान में उल्टा टंगा दिखाई देता है
वो पागल लड़की फिर से पहने घूम रही है झुमके उलटे कर के
अब उस पागल लड़की को रोना चाहिए
की अब इस से ज्यादा बंजर नही होना चाहिए किसी लड़के का दिल
अब इस तरह सूखने नहीं चाहिए फसले मोहब्बत की
अब इतनी बारिश तो होनी चाहिए की
लबालब भरा रहे किसी शराबी का ग्लास
और वो यूँ ही नशे में पागल होके
लिखता रहे कवितायेँ 

गुरुवार, 15 मई 2014

पर्स

तुम्हारा पर्स 
हाँ तुम्हारा पर्स चोरी हो चूका है 
जिसमे थे कुल ३०० रुपये
एक रेल टिकट:
उस शहर के लिए जहाँ जिन्दा है एक ही शख्स तुम्हारे इंतजार में 
एक बार  का बिल:
जहाँ की शराब अब तक तुम्हे मदहोस नहीं कर पाती 
घर के राशन का लिस्ट:
जिसमे पहले नंबर पे है भूख मारने  की दवा  
एक एटीएम कार्ड: 
जिसका पिन भूल चुके हो तुम 
किसी के घर का पता
जो लिखा है किसी अजीब लिपि में  
एक दवाई  की पर्ची
जिसमे दर्ज थे उन दवाओ के नाम, जिनके इंतजार में एक बूढी औरत खड़ी होगी छत पर 
एक प्रेम पत्र 
जिसकी लिखावट से पता चलता होगा  की कांपे होंगे लिखने वाले के हाथ 
और एक लड़की की तस्वीर 
जिसे देखकर कोई ये नहीं कह सकता की लड़की कभी रोती भी होगी 

बड़े बेवकूफ इंसान हो तुम  
अपनी पूरी दुनिया लेकर घूमते हो पर्स में 
और देखते भी नहीं की इस दुनिया के हर दीवाल, हर बैनर, हर होर्डिंग पर लिखा है 
"चोरो और जेबकतरों से सावधान" 

बुधवार, 14 मई 2014

नाश्ता

 

तुम बड़ी देर से करती हो नाश्ता
हमेशा की तरह
मुझे दरवाजे तक छोड़ के आने के बाद ही,
रखती हो अपने प्लेट में
दो बासी रोटी और एक आचार

मैं रोज की तरह
कुछ देर रुक कर
खिड़की से
चुपके से देखता हूँ मैं तुम्हे
मुस्कुराते हुए
सुखी रोटी को निवाला बनाते हुए 

रोज की तरह मैं नाश्ते के बाद हर रोज खाता हूँ एक कसम
की अगले दिन तुम्हारे प्लेट में नहीं होगी कोई बासी रोटी

लेकिन मैं निगल नहीं पाता हूँ वो एक छोटी सी कसम
एक उलटी में उगल देता हूँ
शायद मुझे पता नहीं
की एक बासी रोटी पचाई जा सकती है
पर एक झूठी कसम नहीं
अरहान

अश्लील कहानी

अश्लील कहानी 


कहानी के उस हिस्से में 
लड़की उतार देती है अपना सबकुछ 
सिवाए अपने कपड़ो के 
अपनी इच्छा 
अपने सपने
अपना आज 
अपना कल 
अपनी आत्मा 
अपनी जिंदगी
परत दर परत खोल देती है वो सबकुछ
सौंप देती है उस
कलमकार को
जिसकी इस कहानी को अश्लील समझकर
ख़ारिज कर देते है संपादक प्रकाशित करने से


अराहान 

मंगलवार, 22 अप्रैल 2014

तुमसे प्यार करना और वफ़ा की उम्मीद रखना

तुमसे प्यार करना 
और वफ़ा की उम्मीद रखना 
ठीक वैसा ही है जैसे 
पानी की सतह पर लिख देना एक कविता 
और उम्मीद करना 
की मछलियाँ इस गाकर सुनाएंगी 

तुमसे प्यार करना 
और वफ़ा की उम्मीद रखना 
ठीक वैसा ही है जैसे 
आस्तीन में पालना एक सांप
और उम्मीद करना की वो डसेगा नहीं

तुमसे प्यार करना
और वफ़ा की उम्मीद रखना
ठीक वैसा ही है जैसे
एक बोतल में बंद कर एक प्रेम पत्र
फेंक देना समंदर में
और उम्मीद करना की वो मुझे मिल जायेंगे

तुमसे प्यार करना
और वफ़ा की उम्मीद रखना
ठीक वैसा ही है जैसे
रेत पर लिख देना ज़िन्दगी
और उम्मीद करना की जिंदगी मिटेगी नहीं

तुमसे प्यार करना
और वफ़ा की उम्मीद रखना
ठीक वैसा है जैसे
पी लेना गिलास भर जहर
और उम्मीद करना की प्यास बुझ जाएगी

तुमसे प्यार करना
और वफ़ा की उम्मीद रखना
ठीक वैसा ही है जैसे
कागज़ की नाव पर समंदर में उतरना
और उम्मीद करना की किनारा मिल जायेगा 

सोमवार, 21 अप्रैल 2014

उम्मीद

बहुत दूर, 
गहराई में उतर के देखो 
एक ख्वाबगाह है 
जहां उम्मीदों के Ghetto में 
ज़िंदा है मेरी मोहब्बत 
Below Poverty Line के नीचे 
अपनी खुरदुरी उँगलियों से 
Forbes मैगजीन के पन्ने पलटते 
तुम्हारे जिंदगी की कंपनी में 
सबसे बड़ा शेयरहोल्डर बन ने के सपने देखते हुए 

अराहान

बुधवार, 16 अप्रैल 2014

बचा खुचा सामान

बस बचा खुचा हमारे पास एक 
आसमान है 
जिसको रोज रात देखकर ये तसल्ली कर लेते हैं की 
वो वहीँ आसमान है जो तुम्हारे ऊपर है 
मुट्ठियों में भर लेते है हर रात 
तुम्हारे शहर से आने वाली हवा 
वो हवा, जो उतरने से मना कर देती है मेरे फेफड़ों में 
तुम्हारी तरह ये कहते हुए की 
"मुझे सिगरेट की गंध से नफरत है" 

कुछ बासी उखड़ी बेढब सी कवितायेँ हैं
जिनमे तुमको तुमसे चुराकर रक्खा है हमने
शाम किसी छत पर बैठकर खुदको सुनाने के लिए

अलमारियों के बीच, कहीं किसी कोने में
जिन्दा है एक ओल्ड मोंक की बोतल
जिसको तय करना है मेरे हलक से एक रास्ता
आंसू बन ने के लिए

हथेलियों में बाकी है
अभी मेरे किस्मत की बागी केंचुलियाँ
जिनके टुकड़े ढूँढ ढूंढ कर शायद तुम्हारी किस्मत
मिल जाये मुझसे

बस बचा खुचा इतना ही हैं मेरे पास
और हाँ तुम्हारी दी हुई एक डायरी भी
जिसमे दर्ज है मेरी बर्बादी का अफसाना

अराहान

तुम नहीं समझोगी,

तुम नहीं समझोगी,
कितना कठिन होता है
आँखों में शराब भर के
कभी ना रोने की कसम खाना
पलकों के पांव भारी हो जाते हैं
ख्वाबों के छूने भर से
सोचो कितना कठिन होता होगा
एक आने वाले कल को गड्ढे में गिराना
तिलिस्म बुनती रहती है घडी
बीते लम्हों के धागों से
बहुत मुश्किल होता है
वक्त से पीछे चले जाना
तुम नहीं समझोगी
कितना कठिन होता है
स्याह रातो के कैनवास पर
जुगनुओं को मारकर तस्वीरें बनाना
एक पल के लिए तो रौशन हो जाता है घर मेरा
मोमबत्तियों के रोने से
सोचो कितना कठिन होता होगा
लोगो को उम्र भर के लिए रुलाना
जिंदगी बन के दौड़ती है रगों में बेबसी
तुम नहीं समझोगी
कितना कठिन होता है
यूँ ही बागी बन जाना
अराहान

रविवार, 13 अप्रैल 2014

क्षणिकाएं-2


(एक)

जेहन में फरमेंट करने लगी है अब तुम्हारी यादे 
कच्ची शराब के नशे से मारा जाने वाला हूँ मैं 

(दो)

.यूँ जब से बढ़ा है तुम्हारे आँखों में रहने का किराया 
ख्वाबों को सुसाइड नोट लिखते हुए देखा है हमने

(तीन)

लोग पूछते हैं की किस बात का है ग़म जो इतना तड़पता है तू 
ये सवाल उसने पूछा होता तो फिर कोई ग़म ही नहीं होता 

(चार)

की यूँ ही नहीं चुप रहा करते, चुप रहने वाले लोग 
अन्दर होता है इतना शोर की कुछ कहा नहीं जाता 

(पांच)

कोई पूछता ही नहीं है की क्या क्या जला है इस राख में 
लोग बस इतना जानना चाहते हैं की ये आग किसने लगायी है 

(छः)

हर कोई बहाता नहीं हैं आंसू, दर्द की दुहाई देके 
कुछ लोगो ने सीखा है हुनर मुस्कुराके रो लेने का 

(सात) 

बड़ी आरजू से छाना था रात को, आसमान की छन्नी से 
पर कोई सितारा हथेली पे टीमटिमाया नहीं 

(आठ)

की बस दो घूंट और हलक से उतर जाने देना साकी 
फिर पूछना की उन्हें इतनी हिचकियाँ क्यूँ आती है 

(नौ)

आईने से ना पूछना सबब अपनी मासूमियत का 
एक नजर मेरी आँखों में झांककर सच से दो चार हो लेना 

(दस)

एक आखिरी सवाल मुझे करना है तुमसे 
बोलो फिर से मुहब्बत करोगी मुझसे पहले की तरह 

(ग्यारह)
की बस कीमत इतनी रही हमारे इस जान की 
तुम्हारी मुस्कराहट पे रोज गिरवी होता रहा 

(बारह)
दरवाजे खुलें हैं हमेशा मेरे दिल के तुम्हारे लिए 
बस अपनी शक्ल में कोई अजनबी मत भेज देना 

(तेरह)

डूब के मरने से पहले ये देखा था 
एक लड़की को नदी बनते देखा था 

अराहान 

मंगलवार, 25 मार्च 2014

एडवरटाइजिंग चुतियापा

शाहरुख खानवा एगो क्रीम का परचार करता है, परचार में देखाता है की कैसे उ, उ क्रीम लगाके इतना बड़ा सुपरस्टार बन गया .  साला जब तुम स्ट्रगल कर रहे थे तब फेयर हैण्डसम आया ही नहीं था मार्किट में. तब फिर कैसे बन गए तुम सुपरस्टार.  ई तो दिन दहाड़े चुतिया बनाना हुआ.


इसी तरह, इसी क्रीम के एक और परचार में दिखता है की कैसे एक लड़का गोरा होने के लिए कैसे छिप छिप के लडकियों का क्रीम लगाता है,  साले दूकान पर से धड़ल्ले निरोध खरीदते हो, और लडकियों वाली क्रीम नहीं खरीद सकते हो क्या, जो यूँ छिप छिप के लड़कियों की क्रीम चुरा रहे हो.
हद है परचारबाजी का, साला तुम्ही लोग के वजह से बेचारा, मनोजवा, पिंटूआ जैसा थोडा सांवला किस्म का लड़का सब क्रीम खरीद खरीद के अपना पौकेट मनी जियान (खत्म) कर लेता है फिर भी पिन्किया को कोई और पटा  लेता है. यार बंद करो ये काले गोरे का खेल. कला गोरा से कुछ नहीं होता है, अन्दर टीलेंट होना चाहिए.
तुमलोग साले परचार के नाम पर, अपना प्रोडक्ट बेचने के नाम पर भोले भाले लोगो के साथ खिलवाड़ कर रहे हो. तुमलोग दिखाते हो की फलाना ब्रांड का डीयो लगाने से आसमान से धडाधड सुन्दर लडकिया सब गिरने लगती है, साला पिंटूआ बेचारा यही परचार देख के छत पर गया की, जब वो डीयो लगाएगा तो आसमान से परी गिरेगी, बेचारा पांच मिनट तक डीयो लगाके आसमान की तरफ देखता रहा कोई परी नहीं गिरी, उलटे एक हरामी किस्म का कौवा उसके मूह पे हग के चला गया. हद है यार, तुमलोग कब तक बेचारे ऐसे मासूम लोगो के भावनाओं के साथ खेलोगे.
तुमलोग साले दिखाते हो की मूह में रजनीगन्धा रख लेने से कैसे दुनिया कदमो में आ जाती है. पिंटूआ    इ परचार देख के इतना ना रजनीगन्धा खा लिया की बेचारा को ऑपरेशन करना पडा, दुनिया कदमो में तो नहीं आई, उलटे उसके बाप को घर गिरवी रख के ऑपरेशन के लिए कर्जा लेना पडा.
सलमान खानवा हीरो है, बहुत बड़ा फैन फौलोविंग है, अब उ थमसप का परचार में देखा रहा है की कैसे थम से पी के उ तूफानी करता है, ई तूफानी के चक्कर में बेचारा पिंटूआ तीन तल्ला पर से थम्सअप पी के कूद गया और दोनों पैर तुडवा लिया, हालांकि परचार में तुमलोग दिखाते हो की ई स्टंट सब एक्सपर्ट किया है पर साला इतना छोटा अक्षर में दिखाते हो की बहुते लोग पढ़ भी नहीं पाता है और हाथ गोड़ (पैर) तुडवा लेता है. अरे यार तुम हीरो लोगो को भोले भाले लौंडे बहुत फॉलो करते हैं, यार परचार ही करना है तो अच्छे चीज का करो जो लोगो के लिए फायदेमंद हो. रामदेव बाबा भले ही रामलीला मैदान से सलवार पहन के भाग गए थे पर उनका एक बात एकदम सही है की ई कोका कोला, थमसप सब जहर होता है, केमिकल होता है. और तुमलोग हो की जहर का परचार कर रहे हो पैसा के लिए.
मेरी माँ कहती है की शुभ काम करने से पहले हमें मीठा खाना चाहिए 
साला तुमलोग ठहरे मार्केटिंग के आदमी, हजारो तरीका होता है तुमलोग के पास लोगो को चुतिया बनाने का, तुमलोग को पता  चल गया है की हमलोग इमोशनल फूल होते है, परचार में मम्मी पापा को भी खिंच लाते हो, साला हमलोग मूह मीठा करने के लिए लड्डू खाते हैं, रसगुल्ला खाते हैं, रसमाधुरी खाते हैं, पर तुमलोग को करना है कैडबरी डेयरीमिल्क का परचार, तो तुम माँ का सहारा लेकर कहते हो की "मेरी माँ कहती है कुछ भी शुभ करने से पहले मीठा खाना चाहिए". ठीक है हाँ हम मानते हैं की माँ कहती है की शुभ काम करने से पहले मीठा खाना चाहिए पर ई तो नहीं कहती है ना  की चॉकलेट ही खाना चाहिए, और हमलोग की माँ कभी ये नहीं सिखाती की किसी भी अनजान आदमी (खासकर किसी लड़की से चॉकलेट मांग के खाए) मां तो कहती है की कोई कुछ प्यार से दे भी तो पहले तीन बार मना करना चाहिए.
यार बंद करो ये चुतियापा, बदन करो भोले भाले लोगो को बेवक़ूफ़ बनाना.

मंगलवार, 18 मार्च 2014

तेरी यादें

आज भी झीने से उतर के 
चली आती है कमरे में तेरी यादें 
बिन बुलाये जुगनुओं की तरह 
अँधेरे में चमकती हुयी 
उतार देती है दीवारों पे 
गुजरे जमाने की कुछ धुंधली तस्वीरें 
कुछ बासी पलों की 
उखड़ी उखड़ी से लकीरे 
जिनमे से झांकती है एक गोरी सी लड़की 
अपनी नम आँखों से मुझे देखती है 
और हर बार पूछती है
रेलवे की पटरियां
अक्सर लोगो जुदा क्यूँ करती है
शहर से दूर जाने वाली ट्रेनें भी तो वापस लौटती हैं
फिर तुम क्यूँ नहीं लौटे अबतक
मैं कुछ बोल नहीं पाता हूँ
बस जेब से उसी लड़की की एक साफ़ तस्वीर निकाल के
देखता हूँ और
रोज की तरह घर से दूर निकल जाता हूँ
कुछ टूटी हुयी रेल की पटरियों को जोड़ने के लिए

अरहान

साँसे फिर चलती नहीं थम जाने के बाद

साँसे फिर चलती नहीं थम जाने के बाद
हम जीते रहे ज़िन्दगी मर जाने के बाद 

ऐसा नही था की जीना नही आता था 
पर भला जी के भी क्या करते 
उनसे दूर हो जाने के बाद

मयखाने में इल्म हुआ की बेहोशी क्या चीज होती है
हमें होश आया मदहोश जाने के बाद 

वाकिफ ना थे वो की आग लगी है हमारे सीने में
जली उनकी साँसे हमारे जल जाने के बाद

ताउम्र जिसके इन्तेजार में रास्ता देखते रहे
वो आया भी करीब तो हमारे दफ़न हो जाने के बाद

अराहान

विंडो सीट

मुझे पता है
ट्रेन की खिड़की से तुम दिखाई नही दोगी
पर हर बार मैं ट्रेन में चुनता हूँ 
एक विंडो सीट 
ताकि मैं देख सकूं बाहर 
पीछे छूटते पेड़ों को 
इमारतों को 
जंगलों को 
हर उस चीज को जो मुझसे छूटती जा रही है
ट्रेन के चलने से 
मुझे महसूस होता है तुम्हारा अक्स
उन हर चीजों में जो मुझसे छुट्ती है
बिछड़ती है
ये महसूस कराती है की मैं तुमसे दूर हूँ बहुत दूर
और मुझे रोक देनी चहिये
दुनिया की सारी ट्रेने
अपने लाल खून से

अराहान

आग दिल में लगी रही

आग दिल में लगी रही
सीना ता उम्र जलता रहा


दूर होता रहा साहिल मुझसे 
ख्वाब दरिया का दिल में पलता रहा


उसको ही बना डाला अपना महबूब दिल ने
जिसकी नजरो में मैं हमेशा खलता रहा 


ख्वाहिश तो थी की कोई थाम ले हाथ जब भी गिरुं 
ठोकरे खाकर खुद गिरता संभलता रहा


सजदे में झुका था मैं भी खुदा के आगे
मुफलिसी का दौर यूँ ही चलता रहा 

जिस पे यकी था की साथ देगा मेरा
वो चेहरे पे चेहरा बदलता रहा

कोई तो होगा जो मेरा होगा अराहान
इसी उम्मीद में दिल ताउम्र बहलता रहा

अराहान

मधुशाला

एक ढलती शाम को 
नहीं उतार सकता मैं कॉफी के मग में 
या फिर सीने का दर्द मैं 
कम नहीं कर सकता चाय के प्याले से 
ये मेरी मज़बूरी है 
या मेरी खुद कि रजामन्दी 
कि हर उदास शाम को 
मधुशाला बुला लेती है 
और मैं ठुकरा नहीं सकता उसका न्योता

पिंटूआ - 3

चिंटूआ उ लड़की के पीछे एतना पागल आ obsessed था की दिन रात ओकरे नाम के माला जपता था। उ ससुरा बगल के नर्सरी से दू तीन दर्जन गुलाब के फूल लाता और छत के छज्जा पर बैठकर She Loves Me, She Loves Me Not कहता और साथ साथ गुलाब के फुल पूरा पंखुड़ी नोच के जियान कर देता।

वहीँ छज्जे के नीचे बैठा पिंटुआ झाड़ू निकाला आ सब फूल को समेट के उस लडकिया के देह पे फेंक दिया आ कहा की ए सुनती हो आई लभ यू । लडकियो इतना ना खुश हो गयी की उ भी कह दी आई लभ यु टू पिंटू।

बेचारा चिंटूआ आजकल दिन भर ऊहे छज्जा पर बैठकर खैनी मलता है और अपना चाइनीज मोबाइल पर फुल साउंड में बेवफाई वाला गाना सुनता है।

अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का यार ने ही लुट लिया घर यार का।




स्टेचू (Statue)

स्टेचू (Statue) 

उसे स्टेचू कह कर मुझसे जीतना अच्छा लगता था। मैं जब उसे डांटता, तो वो मुझे हंस के स्टेचू कहती, और में स्टेचू हो जाता। मैं batting करता वो बोलिंग करती, वो स्टेचू कहती मैं बोल्ड हो जाता। उसे मुझे सताना अच्छा लगता था और मुझे उसका सताना।
अब वो मेरे पास नहीं है, और मैं अब सचमुच का स्टेचू बन चूका हूँ।
मेरी निगाहें हमेशा दरवाजे पर टिकी रहती है , पता नहीं कब वो दरवाजा खोलकर अन्दर आ जाये और अपनी खनकती आवाज में कह दे 

"Okay, Satue Over. 

पिंटूआ - 2

पिंटूआ गाँव का शाहरुख़ खान था । पिंटूआ जब गाँव में घर से बाहर निकलकर कुवें के पास बैठकर अंग्रेजी अखबार पढने का दिखावा करता, तब गाँव की सारी मीना कुमारी, बैजंती माला टाइप लडकियां घर में झगडा कर के दुबारा पानी भरने जाती। और पिंटूआ के साथ ठिठोली करती।
अब पिंटूआ शहर आ चूका है, टाइम्स ऑफ़ इंडिया का वही पुराना अख़बार लेकर। यहाँ पिंटूआ को एक एंजेलिना जॉली टाइप की एक लड़की से करारा वाला इलू इलू हो गया है। उसको अपने अन्दर के शाहरुख़ खान पर भरोसा है वो जानता है की जब वो अपने लहराते बालो को हाथ से सीधा करते हुए उस लड़की को अपने दिल की बात कहेगा तो वो ना नहीं कहेगी। लड़की के आगे पीछे 15 दिन लगातार नीड फ़ॉर स्पीड खेलने के बाद पिंटूआ 16वें दिन लड़की से आख़िरकार अपने दिल की बात कह ही देता है।

"ए , सुनो, हम है ना, तुमसे परेम करते है, आई लभ यु ,और अब तुम्हारे बिना जी नहीं सकते।

"आर यू मैड?"
"आई डोंट इवन नो यू?"

पिंटूआ को ज्यादा अंग्रेजी नहीं आता था, अंग्रेजी नाम पर बस उसको आई लभ यू बोलने आता था , जो वो गाँव की सभी लडकियों को बोल चूका था पर बेचारा यहाँ मात खा गया। वो लड़की की बात नहीं समझा पर लड़की के लहजे से उसको पता लग गया की लड़की ना बोली है।

पिंटूआ सोच रहा था की आज वो किसी लड़की से नहीं , सिर्फ अंग्रेजी से हारा है।

पिंटूआ उस दिन जब घर लौटा तो उसके हाथ में रेपिडेक्स इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स नामक किताब थी और उसके आँखों में उस एंजेलिना जॉली को पटाने के हसीं सपने।

पिंटूआ - 1

लड़की ज़ात कोमल होती है, ह्रदय से निर्मल होती है, दयालु होती है, मृदभाषी होती है, विनम्रता की मूर्ति होती है। चाहे लड़की छपरा जिला की हो या दिल्ली की, लड़की लड़की होती है। लड़की जहाँ की हो जुबान खोलेगी तो शहद ही टपकेगा।

आज से पहले तक पिंटूआ भी यही सोचता था।

पिंटूआ का भी दिल साफ़ है पर पिंटूआ के अन्दर शाहरुख़ खान और देवानंद का आत्मा ऐसा फिट है की बेचारा गड़बड़ा जाता है। 
आज वो े शाहरुख़ खान की तरह बालो पे हाथ फेरते और देवानंद की तरह हिल के, और इमरान हासमी की तरह मुस्कुराके एक क्रिस्टन स्टीवर्ट टाइप, शॉर्ट्स एवं टॉप धारिणी कन्या से टाइम पूछ बैठा।

साले, मैंने घडी की दूकान खोल रक्खी है। इस सैंडल से दो पड़ेंगे ना तो सही टाइम का तो पता नहीं तेरे बारह जरुर बजा दूंगी। चीप!!

अरे अरे भड़कती काहे हैं जी, खाली टाइमवे तो पूछे हैं।

आज पिंटूआ का लडकियों के प्रति जो उदार धारणाएं थी वो खंडित हो चुकी थी। वो अपमानित हो गया था पर अपने इस अपमान से ज्यादा वो इस बात पर परेशां हो रहा था की साला एक लड़की किसी को साला कैसे बना सकती है।


Love Ka The End

30 बार कुछ कुछ होता है, 29 बार दिल तो पागल है और 20 बार दिलवाले दुलहनिया ले जायेंगे देखने के बाद लड़के को लगा की, उसके अन्दर भी एक शाहरुख़ खान मौजूद है.  जिसके लिए भी कहीं किसी कोने में कोई सिमरन कोई अंजलि बेसब्री से उसका इन्तजार कर रही है।

लड़का घर के पिछवाड़े में रहने वाली लड़की के आगे पीछे करने लगा था । उसे यकीं था की एक दिन इस आगे पीछे करने का रिजल्ट बहुत जल्दी मिलेगा। इसी बीच लड़के ने जिद्दी आशिक नामक फिल्म देखकर ये ठाना की आज कुछ भी हो जाये लड़की को अपने प्यार का लोहा मनवा के रहेगा। लड़की को ये यकीन दिलवा के रहेगा की जिंदगी नामक इस पिक्चर में उसका हीरो वही है। लड़के के अन्दर आये इस आशिकी से लड़की भी अछूती नहीं थी। वो भी शोले की जया भादुरी की तरह बालकनी के बत्तियां बुझाने के बहाने लड़के को देख लेती पर कुछ कह नहीं पाती। पर लड़का दिन रात लड़की के ही इर्द गिर्द मंडराता। और लड़की को पूरी तरह से अपने प्यार का इजहार करने के लिए बहाने ढूंढता। जाड़े की एक रात लड़के ने फैसला लिया की वो तब तक लड़की के घर के पास खड़ा रहेगा जब तक लड़की खुद आकर उस से आई लभ यु नहीं नहीं कहेगी। जब एक किसान पूस की रात में जागकर अपने खेत की रखवाली कर सकता है और प्रेमचन्द को पूस की रात जैसी कालजयी कहानी लिखने के लिए प्रेरित कर सकता है तो वो फिर क्यों नहीं अपनी माशूका के लिये रात भर उसका इंतजार कर सकता है। लड़के ने बस एक स्वेटर और लड़की के घर से आती रौशनी के सहारे पूरी रात गुजार दी पर लड़की नहीं आई। सुबह के 8 बजे लड़की बाहर आई और लड़के को देख के मुस्कुरायी। लड़के ने राँझना फिल्म के धनुष की तरह इशारे में बताने की कोशिश की, की वो रात भर उसके लिए घर के बाहर इन्तजार करता रहा। पर लड़की शायद समझ नहीं पायी। फिर भी उसने एक कागज़ का टूकड़ा लड़के की तरफ उछाल दिया। लड़का इस कागज़ के टुकड़े को अपने तपस्या का फल समझकर खूशी से पागल हो गया पर उसकी ख़ुशी सिर्फ उतने देर तक रही जबतक उसने कागज़ के टुकड़े में लिखे सन्देश को नहीं पढ़ा था। मैसेज पढ़ते ही उसका चेहरा सफ़ेद पड़ गया।
उसकी हालत फिल्म के साइड हीरो सी हो गयी थी जो हीरोइन से चाहे कितना भी प्यार कर ले हेरोइन हमेशा मेन हीरो से ही पटती है वो भी साइड हीरो की मदद से। लड़के के साथ भी ऐसा हुआ। यहाँ वो अपनी ही बनाइ पिक्चर में साइड हीरो बन गया और उसका भाई जिसका अभी तक पिक्चर में कोई सीन ही नहीं था एकाएक मुख्य भूमिका में नजर आया। लड़की को लड़के के भाई से प्यार था। उसने लड़के से उस कागज़ के टुकड़े में इतना कहा था की वो उसके भाई से प्यार करती है और वो चाहती है की लड़का इस बात को अपने भाई को बताये।

लड़का जो अबतक अपने आप को शाहरुख़ खान समझता था एकाएक उसको अपना वजूद तुषार कपूर आफ़ताब शिवदसानी अर्शद वारसी और उदय चोपड़ा जैसा लगने लगा। लड़का रोना चाहता था पर रो ना सका। लड़के की छोटी सी लव स्टोरी का दुखद अंत हो गया था। लड़के ने सोचा था की इस लव स्टोरी में जो भी विलन बनेंगे वो उन सब को हराकर लड़की को अपना बनाएगा, अगर वो किसी अंजलि के लिए राहुल बन सकता है तो वो G.One जैसा सुपर हीरो भी बन सकता है। पर यहाँ तो कहानी ही उलटी हो गयी। लड़के हारे कदमो से घर की तरफ बढ़ रहा था। उसकी लव स्टोरी की फिल्म का आखिरी शॉट पूरा हो चुका था और उसके डायरेक्टरनुमा दिल ने भी कह दिया था Packup...........

लड़के ने इस घटना के बाद से अपने रूम में शहरुख खान के जितने भी पोस्टर थे फाड़ डाले। उसके लैपटॉप में शाहरुख़ खान के जितने भी फिल्म थे डिलीट कर डाले।

लड़का आजकल इमरान हासमी की फिलमे देखता है।

"Take My Pen"

क्लास के उस पिछली बेंच पर
तुम्हारा नाम लिख कर
तोडा करता था मैं अपनी कलम
और उमीदों के काफिलो से गुजारिश करता
की पास आके तुम कहोगी
"Take My Pen"
पर उम्मीदे भी मेरी कलम की तरह रोज टूटती रही
और मैं कभी कुछ ना लिख पाया
तुम्हारे नाम के सिवा

अराहान

खाई

बस मेरे एक अलविदा कहने से
अगर हमारे बीच में खुद गयी है
एक गहरी खाई
तो लो आज मैं तुम्हे पुकारकर
बना देना चाहता हूँ
एक पुल
इस खाई के ऊपर
तुम्हारी दुलारती बातों के गारे से
तुम्हारे कसमों के पत्थर से
एक मजबूत पुल
जिसे तोड़ नहीं सकता किसी
भी दुनिया का बनाया हुआ
कोई भी अणु बम
एक मजबूत सा पूल
तुम्हारे हाथों में मेरे हाथ के जैसा

अरहान

प्रेम पत्र

मेरे ह्रदय पे पड़ गयी है
तुम्हारे कोमल स्पर्श की सिलवटें
सूरज की तपिश भी
इस्त्री नहीं कर सकती इसे
मेरे हृदय पर तुमने अंकित कर दिया है
प्रेम से भी पुरानी किसी भाषा में
प्रेम से भरा एक प्रेम पत्र

अराहान

स्याह अँधेरी हैं रातें

स्याह अँधेरी हैं रातें
मिल जाए कहीं आफताब कोई

थाम के जिसका हाथ हम आगे बढ़ सके
मिल जाए ऐसा अहबाब कोई

एक शब डाल दो झोली में मेरी वस्ल की
पलकों से हम बुन लें ख्वाब कोई

मुद्दतें हुयी आँखें उनसे मिली नहीं
एक पल के लिए उसके चेहरे से हटा दे हिजाब कोई

आग ठंडी से पड़ने लगी है दिल के अंजुमन में
अपने होठों से पिला दे तेज़ाब कोई

हम सारी उम्र बिता देंगे उनके इन्तजार में अराहान
बस एक बार वो दे दे मेरे खतों का जवाब कोई

अराहान

जिद्दी लड़के

क्रांति के सिलाई मशीन पर 
सीते है वो कफ़न 
जहर उनके जीभ तले होता है 
वो जिद्दी लड़के होते हैं 
जिद्दी होते हैं उनके अरमान 

जिद्दी लड़के फाड़ सकते हैं
अपने मेट्रिक का सर्टिफिकेट
छोड़ सकते हैं अपना घर
दरवाजे पर लात मारकर
कर सकते हैं किसी से टूटके प्यार
हजम कर सकते हैं कड़वा से कड़वा सच
जिद्दी लड़के ज़माने को ठोकरों पे रखते हैं
जिद्दी लड़के नाखुनो की तरह चबाकर फ़ेंक देते हैं अपनी किस्मत
घर के कूड़ेदान में
अपनी कुण्डलियाँ जलाकर
घर से दूर कर देते है दकियानूसी कीड़े
जिद्दी लड़के
चाकुओं से हथेलियों पर किस्मत लिखते हैं
जिद्दी लड़के
जिद्दी होते हैं
कोई सिस्टम कोई कानून
उनके जिद के आगे नहीं टिकता
इसलिए जिद्दी लड़के सूली पे चढ़ाये जाते हैं
क्यूंकि वो जिद्दी होते हैं
लेकिन जिद्दी लड़के कभी मरते नहीं
सिर्फ लड़के मरते हैं
जिद्दी लड़के ज़िंदा ज़िंदा से रहते है
हिस्ट्री के टेक्स्टबुक में
या रंग बिरंगी टी-शर्टों पर
शान से घूरते हुए
मुस्कुराते हुए

अराहान

शुक्रवार, 14 मार्च 2014

एक रात

वो रात शहद थी 
जब तुम ख़ुशी ख़ुशी गिरफ्तार  थी 
मेरे बाहों के आगोश में 
लात मार कर तुमने बंद कर दिया था, रिहाई का दरवाजा 
जब पूरी दुनिया बन गयी थी वकील 
हाथ में जमानत का कागज़ लेकर 
उस रात बड़ी तेज हवा बही 
लेकिन बुझा न सकी 
तुम्हारे प्रेम कि निरंतर जलती लौ को 
तुम्हारा हाथ थाम कर 
शिखर पर चढ़ गयी, मेरी मुहब्बत कि लंगड़ी उम्मीदें 
तुमने चाँद पर लिखकर एक प्रेमपत्र 
बता दिया दुनिया को कि तुम अपने हाथ में 
बाँध चुकी हो प्रेम नामक हथकड़ी 
और हो गयी हो आजाद, खुद से, दुनिया से 
उस रात दरवाजा पिटती रही तालिबानी दुनिया 
करती रही सभ्यता संस्कृति का विधवा विलाप 
उस रात झींगुरो के रुदन के बीच 
जुगनुओं ने बताया चाँद को 
कि आसमान में लौट रहे हैं 
जमीन से जख्मी होकर दो परिंदे 
आजाद हवाओ में आजादी कि सांस लेने 

अरहान