बुधवार, 14 मई 2014

नाश्ता

 

तुम बड़ी देर से करती हो नाश्ता
हमेशा की तरह
मुझे दरवाजे तक छोड़ के आने के बाद ही,
रखती हो अपने प्लेट में
दो बासी रोटी और एक आचार

मैं रोज की तरह
कुछ देर रुक कर
खिड़की से
चुपके से देखता हूँ मैं तुम्हे
मुस्कुराते हुए
सुखी रोटी को निवाला बनाते हुए 

रोज की तरह मैं नाश्ते के बाद हर रोज खाता हूँ एक कसम
की अगले दिन तुम्हारे प्लेट में नहीं होगी कोई बासी रोटी

लेकिन मैं निगल नहीं पाता हूँ वो एक छोटी सी कसम
एक उलटी में उगल देता हूँ
शायद मुझे पता नहीं
की एक बासी रोटी पचाई जा सकती है
पर एक झूठी कसम नहीं
अरहान

अश्लील कहानी

अश्लील कहानी 


कहानी के उस हिस्से में 
लड़की उतार देती है अपना सबकुछ 
सिवाए अपने कपड़ो के 
अपनी इच्छा 
अपने सपने
अपना आज 
अपना कल 
अपनी आत्मा 
अपनी जिंदगी
परत दर परत खोल देती है वो सबकुछ
सौंप देती है उस
कलमकार को
जिसकी इस कहानी को अश्लील समझकर
ख़ारिज कर देते है संपादक प्रकाशित करने से


अराहान