रविवार, 25 अगस्त 2013

क्या जरुरी है

क्या जरूरी है की 
इश्क करें 
और बेक़रार हो जाएँ 
चोरी करें 
और फरार हो जाएँ 
जुर्म करें 
और गिरफ्तार हो जाएँ 
भलाई करें 
और कुसूरवार हो जाएँ 
इन्तजार करें 
और चौकीदार हो जाएँ 
कहानी लिखें 
और कहानीकार हो जाएँ 
दिन काटे सोकर 
और बेकार हो जाएँ 
देते रहें मशवरे 
और सलाहकार हो जाएँ 
बिक जाएँ सियासत में 
और पत्रकार हो जाएँ 
बन जाएँ सनसनीखेज खबर 
और अखबार हो जाएँ 
क्या जरुरी है की
हम लड़ें अपने हक के लिए 
और गुनाहगार हो जाएँ 
इन से तो भला है की चुप रहें आँख मूंदकर 
और भारत की सरकार हो जाएँ 

अराहन 

दूरी

तुमसे कहीं बहुत दूर 
किसी गुमनाम बस्ती में 
बुन रहा हूँ पलकों से 
तुमसे मिलने के सपने 
भेज रहा हूँ आसमान में 
प्रेमपत्रों को बना के पतंग 
इस उम्मीद में की 
जब कटेगी पतंग 
तो गिरेगी तुम्हारे छत पर 
और तुम्हे दिख जायेगा मेरा चेहरा सन्देश में 
मालूम हो जायेगा की मैं तुम्हे याद करता हूँ परदेस में
यकीं हो जायेगा तुम्हे की दूर हो जाने के बाद भी
प्रेम की लौ निरंतर जलती रहती है ह्रदय में
तमाम तुफानो बवंडरो को धता बताते हुए

अराहान

प्रेम करो

फोटो: devianart.com 
प्रेम करो
पर रखो ताकत
दीवारों में चुनवा दिए जाने की
साँसों में भरो इतनी ताकत
की जिन्दा रख सको अपना प्रेम
दीवारों में क़ैद होकर भी

 प्रेम करो
और चौकस रहो
घात लगाये बैठे  शिकारियों से
करो ना कोई चुक
दो ना किसी को मौका शिकार करने का

प्रेम करो
पर रक्खो अपना सीना मजबूत
ना जाने कितने  कारतूसों पर लिखा होगा
तुम्हारा नाम
कितनी तलवारे प्यासी होंगी
 तुम्हारे रक्त की

प्रेम करो
पर थोड़ा डरो
क्यूंकि प्रेम करना गुनाह है
और सडकों पर घूम रहे हैं
इस गुनाह की सजा देने वाले

प्रेम करो
क्यूंकि तुम्हे हो गया है प्रेम
हो गयी है एक हसीं गलती
जो "UNDO" नहीं हो सकती
पर ध्यान रखो
की कोई क़त्ल ना कर दे तुम्हारे प्रेम को

अराहान